इंसान के चेहरे पर सबसे ज्यादा खुशी कब आती है? हर किसी का जवाब अलग अलग होगा।पर उस जरूरतमंद आदमी के लिए सबसे ज्यादा खुशी के पल होते है,जब उसे पेट भर भोजन मिल जाता है।और अगर भोजन बिना मांगे और स्वाभिमान से खाने मिल जाए तो इससे बेहतर बात कुछ और नही हो सकती।मैं डॉ. सूर्यप्रकाश वेंजामुरी हैदराबाद में अंदारी इल्लू यानी ओपन हाउस चलाता हूं।यहां कोई भी कभी भी आकर अपने लिए खुद खाना बना सकता है,खा सकता है,आराम कर सकता है और किताबें पढ़ सकता है।आइए आपको अपनी कहानी से रु-ब-रु कराता हूं।
इस ओपन हाउस शुरू करने के पीछे भूख से जुड़े मेरे कुछ व्यतिगत अनुभव है।बचपन मे संयुक्त परिवार में दादी खाना देती थी लेकिन खाना खाने में आजादी नहीं थीं।फिर हॉस्टल की जिंदगी जी,वहां भी खाने का एक तय समय हुआ करता था।घर पर पैसों की किल्लत नहीं होती थी,लेकिन फिर भी परंपराओं और नियमों के बंधे हुए हम खाने पीने को लेकर आजाद नहीं थे।
हम चार स्तंभों में काम करते हैं।पहला खाना इससे उदर की भूख शांत होती है।दूसरा किताबें इससे कम्युनिकेशन का आधार मिल गया।अच्छा पढ़ना लिखने से दिमाग को आहार मिलता है।हमने बुक रीडिंग क्लब शुरू किए।हमने 100 छोटी लाइब्रेरी बनाई है और एक सेंट्रल लाइब्रेरी विकसित की।तीसरा स्वास्थ्य है 2001 में हमने ऑर्गन्स को लेकर जागरूकता पैदा शुरू करना शुरू की।चौथा प्रेम और ईमानदारी है।अगस्त 2021 से ब्यूटीफुल लाइफ कैंपेन शुरू किया।
मैंने कभी भी संसाधनों की फिक्र नहीं की।अच्छे भाव से जब आप कोई काम अपने हाथ में लेते है,तो चीजें खुद ब खुद होती चली जाती हैं।मेरे जीवन का उद्देश्य ही अब दूसरों की जिंदगी को खूबसूरत बनाना है।
(स्टोरी फोन पर हुई चर्चा पर आधारित)