*बस्तर का पैशन-फ्रूट जूस देगा यूरोप और अमेरिका में दस्तक,*
*निशुल्क पौधे: नवाचारी किसानों को मुफ्त में मिलेंगे पैशन फ्रूट के पौधे।*
*अंतरराष्ट्रीय बाजार: एमडी बोटैनिकल्स द्वारा उत्पादों का निर्यात अमेरिका और इंग्लैंड में।*
*बस्तर की उर्वरा शक्ति: मिट्टी और जलवायु पैशन फ्रूट के लिए अत्यंत अनुकूल।*
बस्तर का जैविक पैशन फ्रूट जूस अब यूरोप और अमेरिका के बाजारों में पहुंचाने की तैयारी जोरों पर है। इस महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत मां दंतेश्वरी हर्बल समूह ने की है, जिसके तहत बस्तर में बड़े पैमाने पर जैविक पैशन फ्रूट की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। बस्तर के दो नवाचारी किसान, प्रकाश बागड़ी और उत्तम मानिकपुरी, ने इस फसल को अपनी बाड़ी में सफलतापूर्वक उगाया और डॉ. राजाराम त्रिपाठी को भेंट स्वरूप दिया। दोनों किसानों ने बताया कि डॉ. त्रिपाठी के नवाचारों से प्रेरित होकर उन्होंने इस फसल को अपनाया।उत्तम मानिकपुरी ने बताया कि कुछ वर्ष पहले ‘मां दंतेश्वरी हर्बल समूह से प्राप्त काली मिर्च के पौधों को उन्होंने अपने घर के बड़ी में लगे आम के पेड़ों पर चढ़ा दिया था आज उनसे प्रति पौधा लगभग दो किलो सूखी काली मिर्च की उपज हो रही है। अब इन किसानों के साथ पैशन फ्रूट की व्यावसायिक खेती भी की जा रही है, जिसमें मां दंतेश्वरी हर्बल समूह का संपूर्ण सहयोग प्राप्त हो रहा है। समूह ने सफेद मूसली, अश्वगंधा, स्टीविया और एलोवेरा जैसी औषधीय फसलों से शक्ति वर्धक और रोग प्रतिरोधक जूस तैयार करने की योजना बनाई है, जिसका आवश्यक प्रमाणीकरण और गुणवत्ता परीक्षण भी किया जाएगा।
*”एमडी बोटैनिकल्स” बनाएगा अंतरराष्ट्रीय स्तर के उत्पाद:-* बस्तर में स्थापित प्रतिष्ठित संस्था “एमडी बोटैनिकल्स” इन उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय जैविक फूड सप्लीमेंट बाजार में लाने की जिम्मेदारी लेगी। एमडी बोटैनिकल्स की सीईओ अपूर्वा त्रिपाठी ने कहा, “हम इसका अनूठा जूस अमेरिका और इंग्लैंड के बाजारों में लाना चाहते हैं, जिसके लिए हमें बड़ी मात्रा में जैविक पैशन फ्रूट की आवश्यकता होगी। बस्तर की मिट्टी और जलवायु इस खेती के लिए अत्यंत उपयुक्त है। इस फसल से किसानों की आय में दुगनी वृद्धि हो सकती है।”
*किसानों को निशुल्क पौधे और तकनीकी सहयोग:-* मां दंतेश्वरी हर्बल समूह पिछले तीन दशकों से अनुराग कुमार, जसमती,बलई चक्रवर्ती, कृष्णा नेताम शंकर नाग संजय कोर्राम के नेतृत्व में काली मिर्च, ऑस्ट्रेलियन टीक, सफेद मूसली, स्टीविया जैसे लाभकारी फसलों की सफल खेती में लगा हुआ है। अब, नवाचारी किसानों को नई-नई फसलों की ओर प्रेरित करने और उन्हें मार्केटिंग तक सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से “ब्लैक गोल्ड मिशन” और “मिशन केसरिया” भी चलाए जा रहे हैं। इसके अंतर्गत किसानों को निशुल्क पौधे उनके घरों तक पहुंचाए जाते हैं और उनकी देखरेख में रोपण भी किया जाता है। अब तक हजारों किसान मिशन से लाभान्वित हुए हैं, और यदि सब कुछ ठीक रहा, तो जल्द ही बस्तर का पैशन फ्रूट जूस अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी जगह बनाएगा।
*इस अवसर पर डॉ. त्रिपाठी ने कहा*, “बस्तर में कृषि क्षेत्र में अनंत संभावनाएं हैं, लेकिन इसके लिए केवल सरकारी सहयोग पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं होगा। हमें सामूहिक प्रयासों से नए प्रयोग और नवाचारों को बढ़ावा देना होगा। सरकार को चाहिए कि जो किसान नए प्रयोग कर रहे हैं, उन्हें हरसंभव मदद दें। सरकार किसानों को कई तरह की मदद कर भी रही है किंतु सरकार की भी अपनी कई प्राथमिकताएं होती हैं तथा कई बाध्यताएं एवं सीमाएं भी होती हैं। इसलिए यदि सहायता संभव नहीं हो, तो कम से कम उनकी पीठ थपथपाकर उनका मनोबल अवश्य बढ़ाएं।”
*(क्या है पैशन-फ्रूट, और क्यों इसे माना जा रहा है अमृत फल* : पैशन फ्रूट में विटामिन ए, सी, फाइबर, सेरोटोनिन , ट्रिप्टोफ़ैन और एंटीऑक्सिडेंट्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं और सूजन को कम करने में सहायक हैं। यह फल हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, पाचन में सुधार, और रक्तचाप नियंत्रित करने में मददगार है।इसका सेवन डायबिटीज, एनीमिया और तनाव जैसी स्थितियों में लाभदायक माना जाता है। इसे भारत में कृष्ण-कमल या कृष्णाफल के रूप में भी जाना जा रहा है।)