गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व और गुरु पर्व के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। गुरु नानक देव जी ने समाज से अज्ञानता का अंधेरा हटाकर चारों तरफ ज्ञान का प्रकाश फैलाया था, इसलिए गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है। आइए, विस्तार से जानते हैं गुरु नानक जयंती पर नगर कीर्तन का महत्व।
हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जयंती मनाई जाती है। गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर मनाई जाने वाली गुरु नानक जयंती पर लोग गुरुद्वारे जाते हैं और नगर कीर्तन का आयोजन भी करते हैं। वहीं, रात के समय असंख्य दीयों से संसार प्रकाशमय हो जाता है।
गुरु नानक जयंती को कहते हैं प्रकाश पर्व और गुरु पर्व
गुरु नानक देव जी की जयंती को प्रकाश पर्व और गुरु पर्व भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने समाज की अज्ञानता दूर करते हुए ज्ञान का दीपक जलाया था। गुरु नानक देव जी लोगों को सीख दी कि ईश्वर एक है और हमें सबके साथ प्रेम और भाईचारा रखना चाहिए। ज्ञान का प्रकाश फैलाने के कारण गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व भी कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से दीए जलाए जाते हैं। वहीं, कार्तिक पूर्णिमा को देव दिवाली भी होती है। इस कारण भी देव दिवाली की खुशी में रात के समय दीए जलाकर प्रकाश किया जाता है।
गुरु नानक जयंती प्रभात बेला पर क्या करें
गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर आपको क्या करना चाहिए? सबसे पहले सुबह स्नान करके ‘नित नेम’ करें जिसमें पांच वाणी का पाठ होता है। फिर साफ कपड़े पहनकर गुरुद्वारा जाएं, मत्था टेकें और सात संगत के दर्शन करें। गुरुवाणी और कीर्तन सुनें और गुरुओं के इतिहास के बारे में जानें। दिल से अरदास सुनें, संगत और गुरुद्वारे में सेवा करें। गुरु के लंगर में जाकर सेवा करें और अपनी कमाई का दसवां हिस्सा धार्मिक कार्यों और गरीबों की मदद के लिए दान करें।
गुरु नानक जयंती पर नगर कीर्तन का महत्व
गुरु नानक देव जी की जयंती पर प्रभात फेरी का भी बहुत महत्व है। गुरु नानक जयंती से कुछ दिन पहले ही सुबह-सुबह प्रभात फेरियां निकालनी शुरू हो जाती है लेकिन गुरु नानक जयंती पर एक विशाल नगर कीर्तन भी निकाला जाता है जिसकी अगुवाई पंज प्यारे करते हैं। श्री गुरु ग्रंथ साहिब को फूलों से सजी पालकी में रखकर पूरे नगर में घुमाया जाता है और अंत में गुरुद्वारे वापस लाया जाता है। इन प्रभात फेरियों में श्रद्धालु भजन-कीर्तन करते हुए गुरु नानक देव जी के उपदेशों का प्रचार करते हैं। रास्ते में जगह-जगह श्रद्धालुओं का स्वागत किया जाता है। प्रभात फेरियों के साथ-साथ घर-घर जाकर भी कीर्तन किया जाता है। लोगों के घरों में कीर्तन करने वालों का स्वागत फूलों और आतिशबाजी से किया जाता है।