बालोद शहर के गंजपारा निवासी स्वंत्रत पत्रकार हेमंत कुमार साहू ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू सहित पुलिस विभाग के सर्वोच्च उच्च अधिकारियों अधिकारियों से लिखित शिकायत कर प्रधान आरक्षक नंद कुमार के पदोन्नात्ति पर सवाल उठाया था । उनका आरोप है कि प्रधान आरक्षक पुलिस विभाग में ही पदस्थ बालोद एस. पी. सर का रीडर नंदकुमार साहू (नंदू) का हाल ही में पुलिस विभाग की पदोन्नति सूची में सहायक उपनिरीक्षक में नाम आ गया है।
जबकि शासन का नियम है कि जिस व्यक्ति खासतौर से सरकारी कर्मचारी के खिलाफ कोई कार्यवाही या जांच चल रही होती है तो उनका पदोन्नाति नही होता । प्रधान आरक्षक नंद कुमार साहू के खिलाफ पुलिस अधीक्षक कार्यालय बेमेतरा के अंतर्गत जांच चल रही थी। खबर प्रकाशन के बाद जांच में तेजी आई और बेमेतरा में संबंधितो का ब्यान लेकर जांच की प्रतिलिपि दुर्ग महानिरीक्षक को सौपा जा चुका है,मंत्री जी के संज्ञान में आने के बाद इस मामले में जितने भी अधिकारी कर्मचारी लीपापोती कर मामले को दबाने का प्रयास कर रहे थे अब सब बचने का प्रयास कर रहे है ।
क्या है प्रधान आरक्षक के विवादों में आने की वजह
दस्तावेजों के अनुसार हेमंत कुमार साहू व उनकी पूर्व पत्नी झरना साहू के बीच वाद-विवाद हुआ था। मामला महिला सेल गया, झरना साहू और प्रधान आरक्षक नंद कुमार साहू दोनों आपस में रिश्तेदार हैं। हेमंत साहू ने सूचना के अधिकार के तहत अपने ही केस के दौरान हुई कार्यवाही व बयानों की सत्य प्रतिलिपि हासिल की तो यह बात उजागर हुई, झरना साहू के पक्ष में महिला सेल के जरिए फैसला दिलाने के लिए नंद कुंमार स्टॉफ पर द्वारा दबाव बनाया जाता था व बयान के प्रतिलिपि में नंद कुमार साहू ने भी स्पष्ट बयान दिया था, कि नंदू महिला सेल प्रभारी को मोबाइल कर कहता था, झरना साहू उसकी रिश्तेदार है, उसकी मदद करना, मतलब नंदकुमार के ब्यान से स्पष्ट होता था कि नंदकुमार रिश्तेदारी निभाने के लिए पुलिस की नॉकरी जॉइन किया है व मामले में हस्तक्षेप करता था, बाकी जनसाधारण व्यक्तियों से नंद कुमार को कोई मतलब नही है, क्योंकि जब जांच चल रही थी तो जांच को स्वंत्रत रूप से चलने देना था, नंदकुमार को किसी भी प्रकार से कोई हस्तक्षेप नही करना था। जिसकी शिकायत पूर्व में हेमंत साहू ने उच्च अधिकारियों से की थी, लेकिन नंद कुमार के तरफ से कोई स्वतंत्र गवाही भी नही होने के बावजूद नंद कुमार बार-बार निर्दोष साबित हो जाता , इस तरह नंद कुमार के ऊपर कोई कार्यवाही नही होती थी, तब हेमंत साहू ने जांच बालोद के पुलिस अधिकारियों से ना कराकर अन्य जिले में करवाने की मांग की ,तो जांच भी कई दिनों से लंबित था, खबर प्रकाशन के बाद जांच में तेजी आई और जांच की रिपोर्ट दुर्ग आई. जी. को सौपी गई । अब इसमें देखने वाली बात है कि नंद कुमार के ऊपर अब कार्रवाही होगी या नही, कि विभाग के आला अधिकारी नंदकुमार को बचाने के लिए अभी भी लीपापोती करेंगे और अपने विभाग को दागदार बनाये रखेंगे ।
जांच से संतुष्ट नहीं थे, इसलिए बेमेतरा से करवा रहे थे जांच
हेमंत साहू ने कहा कि स्थानीय पुलिस प्रशासन से उन्होंने मामले की शिकायत की थी लेकिन नंद कुमार साहू के पक्ष में कोई गवाही नही होने के बावजूद नंद कुमार के ऊपर किसी भी तरह से कार्रवाई नहीं होती । इससे असंतुष्ट होकर हेमंत साहू ने अब अपने इस केस की जांच अन्यत्र जिले के पुलिस अधिकारियों से करवाने की मांग की थी । जिसके बाद शासन के निर्देश पर अब एसपी बेमेतरा कार्यालय से उनके केस की जांच चल रही थी। विवादित प्रधान आरक्षक का नाम पदोन्नाति सूची में आया है जो नियम विरुद्घ है। वही प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ने पिछले दिनों ही छत्तीसगढ़ पुलिस को आदेश जारी करते हुए कहा था की प्रदेश के जनता के साथ पुलिस का व्यवहार बढ़िया हो, किसी भी प्रकार के विभाग के कर्मचारी और अधिकारी के शिकायतों पर त्वरित जांच कर कार्रवाई हो । नंदकुमार साहु से संबंधित जांच की अवधि काफी लंबे समय से लटकी हुई पड़ी थी जांच की पेन्डसी को पुर्ण किये बैगर पदोन्नति प्रदान करने से जांच की महत्ता में कमी तो आई और शिकायत करने वाले लोगों के साथ न्याय भी नही हुआ । खैर अब शिकायतकर्ता के साथ समस्त पुलिस प्रशासन को अब नंदकुमार के ऊपर क्या कार्यवाही की जाएगी, इसका इंतजार है ।