कमलेश यादव: यादों को संजोना कौन नहीं चाहता? आधुनिक समय में जहाँ हम अपने सभी पलों को डिजिटल रूप में संजोकर रखते हैं, वहीं फोटो फ्रेम का सफ़र सदियों पुराना है। आज हम बात करेंगे छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में रहने वाले 62 वर्षीय उस्मान अली जी और उनके छोटे भाई अब्दुल कादिर सोलंकी की, जो 4 दशकों से इस व्यवसाय में सेवा के रूप में काम कर रहे हैं। आज ‘सोलंकी फोटो फ्रेम्स‘ लोगों की यादों का संग्रहालय भी बन गया है।
गौरतलब है कि यहां ग्राहक सिर्फ़ फ़्रेम नहीं खरीदते, बल्कि अपनी भावनाओं, यादों और खास पलों को संजोने का मौका पाते हैं। चाहे शादी की तस्वीरें हों, बच्चों की पहली मुस्कान हो या पुरानी पारिवारिक फोटो – सोलंकी फोटो फ्रेम्स ने इन सभी को सहेजने का ध्यान रखा है। यह प्रतिष्ठान अपने ग्राहकों की भावनाओं का सम्मान करते हुए हर फ्रेम में एक नई कहानी रचता है।
उस्मान अली जी का मानना है कि फोटो फ्रेम कोई साधारण चीज नहीं है, बल्कि यह हमारी भावनाओं और यादों को संजोने का एक खूबसूरत तरीका है। उनके अनुसार, फोटो फ्रेम में हम न केवल तस्वीरें बल्कि उन पलों की भावनाओं को भी कैद करते हैं जो हमारे दिल के करीब होते हैं। यह फ्रेम हमें उन पलों की याद दिलाता है जो हमें शांति और प्रेरणा देते हैं।
गोल बाजार मस्जिद लाइन शहर के सबसे व्यस्त मार्गों में से एक है, जहाँ उस्मान अली जी ने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा इस काम को समर्पित किया है। हालाँकि इस पुश्तैनी व्यवसाय को आगे बढ़ाना आसान नहीं था, लेकिन तमाम तरह की मुश्किलों के बावजूद आज उन्होंने अपने व्यवहार की बदौलत लोगों के दिलों में एक खास जगह बना ली है। इस सफ़र में उनके भाई अब्दुल कादिर ने भी उनका पूरा साथ दिया है।
उस्मान अली जी और अब्दुल कादिर की मेहनत, लगन और सेवा-भावना के कारण यह प्रतिष्ठान आज भी उसी सम्मान और विश्वास के साथ खड़ा है। उम्र के इस पड़ाव पर भी दोनों भाइयों का जुनून और उनके काम के प्रति निष्ठा नई पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है। उनकी यह कहानी बताती है कि सही मायनों में किसी कार्य को सफलता की ऊंचाई पर ले जाने के लिए समर्पण, मेहनत और ईमानदारी की जरूरत होती है।