संक्षिप्त परिचय : चम्पेश्वर गोस्वामी छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध कवि और साहित्यकार हैं , जिनका योगदान छत्तीसगढ़ी भाषा और साहित्य को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण रहा है। उनकी रचनाओं में छत्तीसगढ़ की माटी की खुशबू, यहाँ के लोक जीवन का चित्रण और सामाजिक मुद्दों के प्रति गहरी संवेदनशीलता देखी जा सकती है। गोस्वामी जी ने अपनी कविताओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ की मौखिक परंपराओं, रीति-रिवाजों और लोक जीवन को दर्शाया है। उनकी रचनाएँ छत्तीसगढ़ी साहित्य में सरलता और सहजता की मिसाल हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी।
जय होवय छत्तीसगढ़ दाई
जग भर म नाव जगावत हे
जेखर जस अमरीत बरसावत हे
अमरइया कुआं बारी म
कारी कोईली गोहरावत हे
जय होवय छत्तीसगढ़ जय होवय छत्तीसगढ़ दाई
जग भर म नाव जगावत हे
जेखर जस अमरीत बरसावत हे
अमरइया कुआं बारी म
कारी कोईली गोहरावत हे
जय होवय छत्तीसगढ़ दाई
तोर धजा गजब लहरावत हे
परबत माथ नवावत हे
अउ नदिया चरन पखारत हे
चम्पेश्वर गोस्वामी