सरगीफूल बस्तर: साहित्यकारों और कलाकारों का दीपावली मिलन समारोह…जनजातीय गौरव और सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव

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बस्तर की माटी से जुड़ी सोंधी खुशबू और लोक संस्कृति की अनूठी छटा से सराबोर **दीपावली मिलन समारोह** का आयोजन सरगी छांव में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान बिरसा मुंडा की पूजा-अर्चना के साथ हुआ। इस आयोजन ने साहित्य, कला और लोकसंस्कृति के संरक्षण और संवर्धन को नई दिशा दी।

राष्ट्रीय आदिवासी गौरव सम्मान-2023 से विभूतियों का सम्मान
जनजातीय गौरव दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय आदिवासी गौरव सम्मान-2023 प्रदान किया गया। यह सम्मान बस्तर की संस्कृति और लोककला में योगदान देने वाले विशिष्ट साहित्यकारों और कलाकारों को दिया गया।

सम्मानित विभूतियां:
– श्री खीरेन्द्र यादव: बस्तर लोकगीत, रंगमंच और फिल्म जगत में दीर्घकालीन योगदान।
– श्री रामदेव कौशिक: नवाचारी शिक्षक और लोककला संवर्धक।
– श्री संतोष सोरी: लोक गायक और बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर के संवाहक।
– श्री सनत कुमार सोरी ‘कोयतुर’: साहित्यकार और युवा शिक्षक।
– सुश्री हर्षिका महावीर: युवा कवियित्री और साहित्यिक पत्रिका लेखिका।
– कु. निहारिका कौशिक: नवोदित कलमकार, बस्तर की व्यथा को शब्दों में पिरोने वाली प्रतिभा।

कविता, गीत और लोक संस्कृति का संगम
कार्यक्रम में साहित्यकारों और कलाकारों ने अपनी रचनाओं से समां बांध दिया।
– खीरेन्द्र यादव ने बस्तर के लोकगीतों से माहौल को भावमय बना दिया।
– गीतकार रामदेव कौशिक ने मां दंतेश्वरी की वंदना से शुरुआत की।
– युवा कवि सनत सोरी ने बेटियों और शिक्षा की व्यथा को अपनी कविता में व्यक्त किया।
-सुश्री हर्षिका महावीर और कु. निहारिका कौशिक ने बस्तर की संस्कृति और व्यथा पर अपनी भावपूर्ण कविताएं प्रस्तुत कीं।

कार्यक्रम का समापन और आभार
कार्यक्रम का संचालन गीतकार गायक रामदेव कौशिक ने किया। संयोजक डॉ. विश्वनाथ देवांगन उर्फ मुस्कुराता बस्तर ने सरगीफूल समूह के उद्देश्य और महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपनी कविता “सरगीफूल” की पंक्तियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। अंत में, सभी साहित्यकारों, कलाकारों और अतिथियों का आभार व्यक्त किया गया। यह आयोजन साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में बस्तर की अमूल्य धरोहर को संरक्षित और संवर्धित करने का प्रेरक उदाहरण बना हैं।

सरगीफूल कितरो सुंदर,
फूल सुंदरी,सुपास लागे गंद।
दिनेक बस्तर इया रे दीदी,
इता रूक ले झड़े से धन।
मांई चो बस्तर माटी तिहार,
रसुम सुंदर देखे से सरगी पान।
सुमरनी,तरपनी ले पायसे माटी,
धन-धन रे सरगी,खूबे तुचो मान।

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