रायपुर:-प्राकृतिक संसाधनों से भरे हमारे देश मे,चिड़ियों की चहचाहट से वीरान इलाका भी गुलजार हो जाता है।ऐसा ही प्रकृति,पक्षी प्रेमियों के बीच मशहूर होते जा रहा है गीतकार चम्पेश्वर गोस्वामी द्वारा लिखित “सुंदर उड़ती चिड़िया गाती, धरती पर त्यौहार मनाती” जिसका गायन व संगीत सुनील सोनी जी का है।
चिड़िया की सुंदरता का चित्रण किया गया है कि कैसे नदी,सरोवरों,झीलों,से होकर उड़ती चिड़िया हमारे मन को शांत और शुकुन करती है।घर के आंगन में जब हम चिड़िया का इन्तजार किया करते थे उनके लिए दाना-पानी की व्यवस्था करके मन को असीम शांति मिलती थी।प्रकृति प्रेमियों द्वारा यह गीत गुनगुनाते हुए चिड़िया को दाना खिलाते आपको देर शाम कुछ लोग मिल ही जायेंगे।यही इस गाने की उपलब्धि है।
गीत में प्रकृति का संदेश
चिड़िया की चहचहाट में जिंदगी के सपने दर्ज हैं, और चिड़िया की उड़ान में सपनों की तस्वीर झिलमिलाती है चिड़िया जब चहचहाती है, तो मौसम में एक नई ताजगी और हवाओं में गुनगुनाहट सी आ जाती है। चिड़िया का हमारे आँगन में आना हमारी जिंदगी में लय भर देता है। चिड़िया जब दाना चुनती है, तो बच्चे इंतज़ार में देर तक माँ को निहारते रहती हैं, और घर बड़े बुजुर्ग चिड़ियों को दाना डाल कर एक अलग ही सुकून का अनुभव करते हैं।
अतीत की स्मृतियों में ले जाता है यह गीत
कितना मनमोहक लगता है जब गौरेया एक कोने में जमा पानी में पंख फड़फड़ाकर नहाती है, और पानी उछालती है।इसके अलावा चिड़िया एक कोने में पड़ी मिट्टी में भी लोटपोट होती है।
वर्तमान स्तिथि
चिड़िया का मनुष्य के साथ एक भावनात्मक रिश्ता है, पर आज के समय में चिड़ियों का संसार सिमटता जा रहा है। और इस संतुलन को बिगड़ने में जाने-अनजाने मनुष्य का बहुत बड़ा रोल है।तथा शहरों में तो ऐसी स्थिति बन गई है कि एक दिन आंगन चिड़ियों से सूना हो जाएगा और चिड़िया की चहचहाट के लिए मौसम तरस जाएंगे।जब से खेती में नई-नई तकनीकें प्रयोग में आई हैं, खेतों में उठने-बैठने वाली घरेलू चिड़ियों पर भी बुरा असर पड़ा है। जिस तेजी से इधर कुछ सालों में घरेलु चिड़ियों की संख्या में कमी आई है, वह चिंताजनक है।
इस गीत में अतीत के स्मृतियों को फिर से जीवंत किया गया है,और मनुष्य को चिड़ियों के करीब जाने के लिए प्रेरित किया है।प्रकृति के संतुलन के लिए इस विषय पर जागरूकता का संदेश लिए अंतर्मन की गहराइयों में यह गीत सभी का मन मोह रहा है।