महिलाएं समझा रही पानी की महत्ता…मां बम्लेश्वरी समूह की टीम ने दर्जनों गांवों में बैठक लेकर लोगों को सोखता गढ्ढा निर्माण का महत्व समझाया…बताया जा रहा है कि एक सोखता गढ्ढा निर्माण से हजारों लीटर पानी संचय किया जा सकता है

419

पानी की समस्या हमारे देश में ही नहीं अपितु दुनिया के लगभग सभी देशों में बनी हुई है। जब तक आम जनता पानी के सरंक्षण के लिए अपनी भूमिका नही निभाएंगे तब तक जल संरक्षण होना संभव नहीं है इसलिए हमें सबको मिलकर पानी बचाना होगा। इसे अपनी आदतों में शामिल करना होगा, क्योंकि इस वक्त पानी बचाना हम सबका कर्तव्य ही नहीं अपितु मौलिक जिम्मेदारी भी है।

हर वर्ष होने वाले जल संकट का स्थायी समाधान निकालने महिलाएं फिर से गांवों में सक्रिय हो गईं हैं। निस्तारी के बाद बेकार बह जाने वाले हैंडपंप व कुआं के पानी को सहेजने आसपास सोखता गड्ढा बनाया जा रहा है। गांवों में नालियों में बह जाने वाले पानी को भी इसी तरह के गड्ढे बनाकर सहेजने की मुहिम छेड़ी गई है। यह बीड़ा उठाया है पद्मश्री फुलबासन यादव की मातृ संस्था मां बम्लेश्वरी जनहितकारी समिति ने।

महिलाएं समझा रही पानी की महत्ता
जागरूकता अभियान के दौरान महिलाओं को पानी की महत्ता सम्झाई जा रही है। पानी की समस्या से महिलाएं अत्यधिक प्रभावित होती है। पानी का लेबल अधिक गहराई होने के कारण हैंडपंप व कुंआ भी गर्मी के अंतिम दिनों में साथ नहीं देता है, जिसके कारण महिलाएं काफी परेशान रहती है। इसको देखते हुए मां बम्लेश्वरी समूह के आह्वान पर महिलाएं सोखता गढ्ढा निर्माण के लिए जुटी हुईं हैं। गांवों में महिलाएं अभियान को उत्साह के साथ आगे बढ़ा रहीं हैं।

हजारों लीटर पानी संचय
विगत दिनों से मां बम्लेश्वरी समूह की टीम ने दर्जनों गांवों में बैठक एवं सभा लेकर लोगों को सोखता गढ्ढा निर्माण का महत्व समझाया। उन्हें इसकी तकनीकी के फायदे बताए गए। बताया जा रहा है कि एक सोखता गढ्ढा निर्माण से हजारों लीटर पानी संचय किया जा सकता है। सोखता गढ्ढा बनाने के लिए सामग्री के रूप में पत्थर, ईंट, कोयला एवं रेत की आवश्यकता होती है। सोखता गढ्ढा, किसी भी हैंडपंप, कुआं, नल या अन्य ऐसी जगह जहां पर पानी का बहाव होता है, उसी जगह पर बनाने की आवश्यकता है।

इस तरह बनाएं सोखता गड्ढा
बताया गया कि सोखता गड्ढा निर्माण के लिए सर्वप्रथम गड्ढे के निचले हिस्से में पत्थर डालें। द्वितीय परत ईंट के टुकड़े की बिछाई जाती है। तृतीय परत कोयला की रखें। चर्तुर्थ व अंतिम परत में रेती से गढ्ढे की भराई की जाती है। यह अभियान मां बम्लेश्वरी जनहितकारी समिति द्वारा विगत कई वर्षो से चलाया जा रहा है। हजारों सोखता गढ्ढे बनाए जा चुके है।

Live Cricket Live Share Market

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here