गिरिश वर्मा:कोरोना की दूसरी लहर के रूप में भारत में मची तबाही से हर रोज़ देश में तीन लाख से अधिक मामले दर्ज किए जा रहे हैं. अपने परिजनों तक मदद पहुँचाने के लिए लोग बड़ी बेचैनी से सोशल मीडिया की सहायता ले रहे हैं.अपने बीमार परिजन को अस्पताल में बेड, ऑक्सीजन, रेमेडिसविर और प्लाज़्मा दिलाने के लिए लोग सोशल मीडिया का जमकर उपयोग कर रहे हैं. ऐसे वक़्त में ये माध्यम ही शायद उनकी अकेली उम्मीद हैं.
इसके लिए लोग सुबह से देर रात तक अपने इंस्टाग्राम अकाउंट को स्कैन कर रहे हैं. व्हाट्सएप के विभिन्न समूहों में मैसेज छोड़ रहे हैं. और लोगों को कॉल करके आस लगा रहे हैं कि कहीं से कोई मदद उन्हें मिल जाए.पूरा माहौल अराजक और बोझिल बना हुआ है. एक व्हाट्सएप मैसेज फ्लैश होना शुरू होता है कि ‘आईसीयू के दो बेड ख़ाली.’ कुछ मिनट बाद पता चलता है कि वह भर गया. इस बीच एक और मैसेज आता है, ”ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर की ज़रूरत है. कृपया मदद करें.”
NACHA SOS COVID FIghters की पूरी टीम 24 घण्टे जरूरतमंदों के मदद के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहे है।सोशल मीडिया में मदद के अपील के साथ ही सभी सदस्य एक्टिव हो जाते है।रायपुर छत्तीसगढ़ से कई व्हाट्सअप ग्रुप,फेसबुक में मदद के लिए सामने आए है।चंडीगढ़ से अमित श्रीवास्तव,केरल से विजय, सोशल मीडिया के माध्यम से लोगो की मदद कर रहे है।
बिलासपुर छत्तीसगढ़ से तरुणी सारथी सोशल मीडिया में सक्रिय रहकर जरूरतमन्द मरीजों के मदद के लिए तत्पर रहती है।चरामेति फाउंडेशन से प्रशांत महतो की पूरी टीम निःशुल्क भोजन की व्यवस्था के साथ ही डीजल के खर्चे पर एम्बुलेंस सेवा शुरू किए है।समाजसेवी गोपी साहू कहते है कि सोशल मीडिया में सोशल वर्क करने का सही वक्त है अभी।
पूरे भारत मे सोशल मीडिया के माध्यम से अब तक लाखों मरीजों को सही सूचना और सहायता मिल चुका है।लेकिन फेक खबर का भी भरमार हो गया है कई पुराने संदेशों को लोग वायरल कर रहे है।कई राज्यो में फेंक news के लिए विशेष टीम भी गठित की गई है।