मंथन…यह दिखाने के लिए कोई डेटा नहीं है कि जुगनू विलुप्त होने के कगार पर हैं या नहीं…लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि पूरे देश और दुनिया भर में उनकी आबादी में काफी गिरावट आ रही है

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कमलेश यादव :हममें से कई लोगों ने तारों की तरह टिमटिमाते जुगनुओं को देखने और पकड़ने की यादें संजोकर रखी हैं। लेकिन ऐसे संकेत हैं कि आज के बच्चे ऐसी यादों के साथ बड़े नहीं होंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि पूरे देश में जंगलों और खेतों से जुगनू गायब हो रहे हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि कीटनाशकों का उपयोग और बढ़ता प्रकाश प्रदूषण जुगनू की आबादी को प्रभावित करने वाले दो प्रमुख कारक हैं। यदि उन्हें नियंत्रित नहीं किया गया, तो जुगनू अंततः विलुप्त हो जाएंगे, जिससे हमारी गर्मियों की रातें कम जादुई हो जाएंगी।

मूलतः मैं छत्तीसगढ़ से हूँ लेकिन पिछले कई वर्षों से मैंने जुगनुओं को नही देखा हैं।हम इंसानों ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से ऐसे कई कीड़ों के विलुप्त होने में योगदान दिया है जो कभी बहुतायत में पाए जाते थे।

जब आप रात में अपने बगीचे या आँगन में बाहर रोशनी करते हैं, तो आप अनजाने में अपने क्षेत्र में जुगनू की आबादी में गिरावट में योगदान दे सकते हैं। वैज्ञानिकों ने देखा है कि प्रकाश के कृत्रिम स्रोत के संपर्क में आने के बाद जुगनू अपना रास्ता भटक जाते हैं और खड़खड़ाने लगते हैं।

मौसम के बदलाव का संकेत देने वाले जुगनू जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से खत्म होते जा रहे हैं

सत्यदर्शन लाइव से बातचीत के दौरान कृषि विशेषज्ञ बोधीश साहू ने कहा है कि “जब मैं बच्चा था, मैं और मेरे दोस्त अंधेरे आकाश के नीचे जुगनू (जुगनू) का पीछा करते थे। वे समूह में टिमटिमाते हुए चलते थे। फिर हम उन्हें पकड़ने के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे और ऐसा करने वाले पहले व्यक्ति को इच्छा व्यक्त करने का मौका मिलेगा।

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