पेड़ों के संरक्षण के लिए हर किसी को आगे आना होगा.. वृक्ष के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती है..पीपल,नीम,बरगद एवं तुलसी का पौधा जीवनदायिनी आक्सीजन देता है

गोपी साहू:बात पेड़ों की करें तो इनका सबसे पहला फायदा तो यही है कि हमारी थोड़ी सी मेहनत के बदले में ये हमें देते हैं प्राणवायु। यह है ऑक्सीजन, जिसके बिना नहीं की जा सकती है जीवन की कल्पना।शुद्ध हवा की महत्ता का अनुमान इस तरह लगा सकते हैं कि मनुष्य भोजन के बिना कई दिनों तक जीवित रह सकता है लेकिन उसे प्राणवायु यानी ऑक्सीजन न मिले तो उसका जीवित रहना असम्भव है।

वनस्पतियां आक्सीजन देकर हमें जीवन प्रदान करती हैं। कारण कि बिना आक्सीजन के हम जीवित रह ही नहीं सकते और पेड़-पौधे यही जीवनदायिनी आक्सीजन छोड़ते हैं। वे हमारे द्वारा छोड़ी गई विषैली गैस कार्बन-डाइ-आक्साइड को ग्रहण करते हैं। कुछ पौधे ऐसे भी होते हैं जो रात में भी आक्सीजन छोड़ते हैं। पीपल, नीम, तुलसी, एलोवेरा, एक्समस कैक्टस, सर्पेन्टाइल (स्नेक प्लांट), आर्चिड्स, आरेंजग्रेवेरा आदि ऐसे पेड़-पौधें हैं जो रात में भी आक्सीजन छोड़ते हैं।

इसी तरह कुछ समुद्री पौधे भी हैं जो सबसे अधिक आक्सीजन छोड़ते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार 70-80 प्रतिशत आक्सीजन इन समुद्री पौधों से ही उत्पन्न होता है। अधिक पत्तियों वाले पौधे अधिक आक्सीजन छोड़ते हैं। पत्तियां एक घंटे में पांच मिलीलीटर आक्सीजन उत्पन्न करती हैं। पीपल का पेड़ जहां रात में भी आक्सीजन देता है वहीं 22 घंटे से अधिक समय तक आक्सीजन देता है। बांस का पौधा भी अन्य पेड़ों की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक आक्सीजन देता है। नीम, बरगद एवं तुलसी का पौधा भी 20 घंटे से अधिक समय तक आक्सीजन देता है।

पौधे वातावरण के लिए फेफड़ों का काम करते हैं. ये ऑक्सीजन छोड़ते हैं. और, वातावरण से कार्बन डाईऑक्साइड सोख कर हवा को शुद्ध बनाते हैं. पौधों की पत्तियां भी सल्फ़र डाई ऑक्साइड और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड जैसे ख़तरनाक तत्व अपने में समा लेती हैं और हवा को साफ़ बनाती हैं. यही नहीं, कई तरह के प्रदूषित तत्व पौधों की मख़मली टहनियों और पत्तियों पर चिपक जाते हैं और पानी पड़ने पर धुल कर बह जाते हैं.

इंसान का शरीर सुचारू रूप से तभी काम करता है जब उसके सभी भागों में ऑक्सीजन की पूर्ति आवश्यकतानुसार होती है। ऑक्सीजन की ये पूर्ति पूरे शरीर में खून के जरिए होती है। हमारे शरीर को 90 फीसदी ऊर्जा ऑक्सीजन की वजह से मिलती है शेष भोजन और पानी से मिलती है। जब शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 90 फीसदी से नीचे चला जाता है तो उसे ऑक्सीजन की कमी माना जाता है।


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