“मिशन सुलेन्द्र”…दोनों हाथ नही है तो क्या हुआ अपने पैरों के सहारे कम्प्यूटर और लिखाई का काम कर लेते है सुलेन्द्र…काम की तलाश में भटकना पड़ रहा है…व्यवस्था परिवर्तन केवल फिल्मों में देखना पसंद करते है असल जिंदगी में नही

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कमलेश कुमार:भगवान ने दोनों हाथ नही दिये तो क्या हुआ मेरे दो पैर ही काफी है काम करने के लिए यह कहना है छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले के छोटे से गांव गबौद के रहने वाले सुलेन्द्र कुमार कुर्रे की।नियति ने दुनिया में मुझे ऐसा ही भेजा है तो क्या हुआ उसके पीछे भी कोई न कोई कारण होगा क्योकि बगैर लक्ष्य के इस दुनिया मे कोई भी नही आता है।मैंने अपनी कमियों को कभी फोकस ही नही किया जो है मेरे पास उसी से ही खुश हूं और कम्प्यूटर से लेकर लिखाई का काम भी पैरों के सहारे कर लेता हूं।

कम्प्यूटर कार्य मे दक्षता
सत्यदर्शन लाइव के साथ बातचीत में सुलेन्द्र कुमार कुर्रे बताते है कि शुरुआती दिनों में कभी कभी ऊपर वाले से शिकायत रहती थी क्योकि मुझे औरों से अलग जो बनाया है।धीरे धीरे स्वयं के ऊपर विश्वास हुआ और सारा काम पैरों के माध्यम से आसानी से कर लेते है।पोस्ट ग्रेजुएशन तक कि शिक्षा प्राप्त कर चुके है।डाटा ऑपरेटर के रूप में कार्य करने का अनुभव है।कोरोना काल मे सारे संस्थान बन्द होने की वजह से थोड़ी दिक्कत हुई है।

काम की तलाश
वे बताते है कि,दुनिया संवेदना तो जाहिर करती है लेकिन बात जब सहयोग की आती है धीरे धीरे सभी किनारे होने लगते है।मुझे सहयोग नही काम चाहिए क्योकि मुझमें हुनर है और शिक्षित भी हु।मेरी पत्नी दीप्ती कुर्रे हमेशा प्रोत्साहित करती है।आज वह भी पोस्ट ग्रेजुएशन हो गई है।कोई तो होगा जो हमारी काबिलियत की पहचान करेगा।उम्मीद और विश्वास के सहारे ही जीवन चल रहा है।

सत्यदर्शन की मुहिम
कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ही सामाजिक व्यवस्था का निर्माण किया गया है।हम चमत्कार या व्यवस्था परिवर्तन केवल फिल्मों में देखना पसंद करते है असल जिंदगी में नही।सत्यदर्शन लाइव अपनी सामाजिक दायित्व का निर्वहन करने के लिए “मिशन सुलेन्द्र” की शुरुआत की है जिसका मुख्य उद्देश्य उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए काम की तलाश करना।आप भी यदि किसी भी प्रकार से सहयोग करना चाहते है यह व्हाट्सअप नम्बर 7587482923 में सन्देश प्रेषित कर सकते है।

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