घर एक पाठशाला…आदर्श शिक्षक श्रीकांत सिंह ने विद्यार्थियों के घरों को ही स्कूल का रूप देकर पढ़ाई करा रहे है ताकि शिक्षा से कोई भी छात्र वंचित न हो जाये

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कोरबा:विद्यार्थियों की प्रथम पाठशाला घर होता है।कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए, आदर्श शिक्षक श्रीकांत सिंह ने विद्यार्थियों के घरों को ही स्कूल का रूप देकर पढ़ाई करा रहे है ताकि शिक्षा से कोई भी छात्र वंचित न हो जाये।आइये जानते है घर एक पाठशाला रोचक सफर के बारे में शिक्षक श्रीकांत सिंह की जुबानी।

आज हमनें नन्हें बच्चों के घरों को एक छोटी पाठशाला का रूप देने की कोशिश की है। कोरोना महामारी के कारण प्राथमिक स्कूलों के खुलने की संभावना दूर दूर तक नहीं है। ऐसे में बच्चे घर में ही सीखते रहें, पढ़ाई में बच्चों की रूचि बनी रहे इसलिए यह हमारे विद्यालय की ओर से एक छोटा सा प्रयास है। इस प्रयास में हमनें ऐसे बच्चों के घरों को चुना है जो कक्षा 1 में अध्ययनरत हैं, वे बच्चे जो अगले साल कक्षा 1 में प्रवेश लेंगे और वे 3 वर्ष से ऊपर के बच्चे जो हमारे साथ नियमित रूप से जुड़े रहते हैं।

कोशिश यह है कि जब बच्चे विद्यालय में प्रवेश लें तो वे अक्षर और गिनती से परिचित हो। पालक के साथ बच्चे भी चार्ट को देखकर काफी खुश और सीखने के लिए उत्सुक नज़र आये। कुछ बच्चों ने तो हमें पढ़कर भी सुनाया। आज भारी बारिश के कारण एक मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले जाने में खासी मसक्कत करनी पड़ी। कुछ मोहल्लों को तो कीचड़ और बारिस के कारण पैदल ही नापी। लेकिन शाम होते होते हमने सभी घरों में चार्ट लगा ही दिया। हमारे बच्चों ने भी हरबार की तरह इस कार्य में भी खूब मदद किये। इन कोशिशों की अगली कड़ी में ऐसे सभी बच्चों को स्लेट और कापी देने की भी योजना है। देखते हैं इन प्रयासों में हम कहाँ तक सफल होते हैं।

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