नशे की लत ऐसी होती है, जो छोटी उम्र में लग जाए तो बच्चों का भविष्य तबाह कर देती है. मगर बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं. उन्हें ढालकर शायद एक बार और उम्मीद वाली ज़िन्दगी की पटरी पर लाया जाता है. ऐसा करने के लिए लिरोंथंग लोथा जैसे लोगों की हिम्मत की जरूरत पड़ती है.
लिरोंथंग लोथा एक प्रोफेशनल फुटबॉलर हैं, जो लॉकडाउन में अपने गांव वापस लौटे थे. उन्होंने जब अपने गांव में शराब और ड्रग्स के लत में बच्चों को पाया तो उनके लिए कुछ करने के बारे में सोचा. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 22 साल के लोथा पंजाब के फुटबॉल क्लब के लिए खेलते हैं. लॉकडाउन की वजह से वो नागालैंड वापस लौटे थे.
लोथा ने कहा, ”इन्हें नशे में देख मैंने तय किया कि जब भी लंबी छुट्टी पर घर आऊंगा, इन्हें फुटबॉल सिखाना है. इनके पैरों को फुटबॉल की आदत लग गई तो नशा छूट जाएगा.”
उन्होंने जून में इन बच्चों को फुटबॉल सिखाना शुरू किया. उन्होंने कभी बच्चों को आकर खेलने के लिए नहीं कहा बल्कि अपने खेलने के तरीके से उन्हें आकर्षित किया और बच्चों ने खुद इसे खेलने की इच्छा जाहिर की. उन्हें इस खेल में मज़ा आने लगा और इस तरह लोथा ने उन्हें ट्रेनिंग देना शुरू कर दी.
रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में आज 7 से 17 साल तक के 21 बच्चे उनसे सीख रहे हैं. इस काम में आज कुछ एकेडमी और क्लब और कुछ कंपनियों ने न्यूट्रिशनल डाइट भी उपलब्ध कर मदद दी है. इससे अच्छी पहल और सोच भला क्या हो सकती है!