दोस्ती….कबूतर और इस शख्स की अनोखी दोस्ती…पढ़कर आप भी हो जाएंगे हैरान…क्या आपको याद है कि आपने आखिरी बार पक्षियों के चहचहाने की आवाज़ कब सुनी थी या फिर कब आखिरी बार आपने चिड़ियाँ देखी थी

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मुंगेली:छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में रहने वाले बुधेश्वर वर्मा और कबूतर की दोस्ती इन दिनों काफी सुर्खियों में है।इंसान और पक्षियों की दोस्ती यू तो सदियों से चली आ रही है।लेकिन पहले की पीढियां अपने साथ-साथ प्रकृति का भी ख्याल रखती थी लेकिन वक़्त के साथ यह सब कहीं खो गया।कबूतर और बुधेश्वर वर्मा की दोस्ती की ख़बर दिल को सुकून देती है।कबूतर का उनके प्रति कुछ इस तरह का आकर्षण है कि भोर की किरण से पहले कबूतर दस्तक देेकर उन्हें जगा देते है। घर के आंगन में आते ही वह अटखेलियां करने लगते है। पास में बैठकर अपना पंसदीदा दाना पानी मांगने लगते हैं।घर के ही सदस्य बन गए है।

वर्मा जी बताते हैं कि जब वह बच्चों के साथ बाजार जाते है तो अपने बाइक में कबूतर को भी बकायदा बैठा कर ले जाते है।यहां तक की अब कबूतर की भाषा भी पहचानने लगे हैं।दाना खत्म होने के साथ ही कबूतर उनके आगे पीछे घूमने लगते हैं।दोस्ती इतनी गहरी है कि बुधेश्वर वर्मा जी कबूतर को देखकर आवाज लगाकर भी बुला लेते है। बाहर या ऑफिस जाने के बाद बापस आने पर कबूतर बाहर बैठा इंतजार करता हुआ मिलता है।

वर्तमान समय मे जब इंसान, इंसान से दूर होते जा रहा है।लेकिन पक्षियों से ऐसा दोस्ती कुदरत के समता के सिद्धांत को सिद्ध करती है।इस संसार मे सभी को जीने का अधिकार है वह भी प्रेमपूर्वक।पक्षियां भी भाव की भूखी है उन्हें भी प्यार चाहिए।क्या आपको याद है कि आपने आखिरी बार पक्षियों के चहचहाने की आवाज़ कब सुनी थी या फिर कब आखिरी बार आपने चिड़ियाँ देखी थी? शहर तो शहर, आजकल गांवों में भी घरेलू चिड़ियाँ नाममात्र रह गईं हैं और बहुत ही कम देखने को मिलती हैं।

प्राकृतिक जीव जंतु का संरक्षण की आवश्यकता है।अगर इसी तरह प्राकृतिक जीव-जंतु खत्म होते रहे तो इको-सिस्टम बिल्कुल बिगड़ जाएगा। वर्मा जी कहते हैं कि लोगों की बदलती जीवन शैली ने प्रकृति में पहले ही बहुत से बदलाव किए हैं जैसे कि रासायनिक खेती की वजह से जीवों के लिए पोषक खाद्यान्न नहीं बचे हैं। धरती को हमने प्लास्टिक से भर दिया है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा इन मासूम, बेजुबान जीवों को भरना पड़ रहा है। इसके अलावा, हमारे घर सिवाय सीमेंट की इमारतों के और कुछ भी नहीं।

कबूतर और बुधेश्वर वर्मा जी की दोस्ती निःसन्देह हमें प्रकृति के करीब जोड़ती है।गौर करने वाली बात यह है अगर आपने आस-पास नियमित तौर पर पक्षी आपको दिख रहे हैं तो समझिए कि आप एक स्वस्थ वातावरण में रह रहे हैं और अगर नहीं तो यह चिंता का विषय है।सत्यदर्शनलाइव चैनल की ओर से कबूतर और बुधेश्वर वर्मा जी के दोस्ताना सम्बंध को सैलूट।

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