वाशिंगटन, एजेंसी। कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को देश में आपातकाल की घोषणा कर दी। इसके साथ ही कोरोना वायरस से लड़ने के लिए संघीय निधि से 50 अरब डॉलर (लगभग 3.5 लाख करोड़ रुपये) जारी होने का रास्ता साफ हो गया है। अंदेशा जताया जा रहा है कि अमेरिका की आधी आबादी इस खतरनाक वायरस की चपेट में आ सकती है।
आधी अमेरिकी आबादी पर मंडरा रहा खतरा..
कुछ विशेषज्ञों ने बताया है कि आखिर आधी अमेरिकी आबादी और खासतौर पर बुजुर्गों पर यह खतरा क्यों मंडरा रहा है? अमेरिका के 30 से ज्यादा राज्यों में यह वायरस फैल चुका है। अब तक 1700 से ज्यादा लोग संक्रमित पाए गए हैं और 41 लोगों की मौत भी हो चुकी है। व्हाइट हाउस में ट्रंप ने कहा, ‘संघीय सरकार की पूर्ण शक्ति प्राप्त करने के लिए, मैं आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करता हूं।’ उन्होंने सभी राज्यों का आपातकालीन संचालन केंद्र स्थापित करने का आह्वान करते हुए कहा है कि सरकार कोरोना वायरस की जांच में तेजी ला रही है। बता दें कि देश में जांच किट कमी को लेकर ट्रंप सरकार की आलोचना हो रही थी।
50 फीसद लोग सेहत संबंधी किसी ना किसी समस्या से जूझ रहे…
वहीं, अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि बुजुर्गों के लिए कोरोना वायरस गंभीर खतरा है। इनमें से 50 फीसद लोग सेहत संबंधी किसी ना किसी समस्या से जूझ रहे हैं। हृदय रोग, कैंसर और डायबिटीज जैसी बीमारियां कोरोना वायरस के संक्रमण को गंभीर कर सकती हैं। कुछ हालिया अध्ययनों में इन खतरों को लेकर आगाह किया गया है। वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ विलियम शेफनर ने कहा, ’60 साल से ज्यादा उम्र वाले और बीमारियों से जूझ रहे लोगों को निजी तौर पर सचेत हो जाना चाहिए।’
ओहियो में एक लाख हो सकते हैं पीड़ित…
इस बीच, अमेरिका के ओहियो प्रांत की स्वास्थ्य निदेशक एमी एक्टन ने गवर्नर माइक डीविने के साथ प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि राज्य में कोरोना पीड़ितों की संख्या एक लाख हो सकती है। उन्होंने कहा कि इस वायरस का सामुदायिक प्रसार बहुत तेज हो रहा है। अगर एक फीसद आबादी भी इससे प्रभावित होती है तो कुल लगभग एक करोड़ दस लाख से ज्यादा की आबादी के हिसाब से यह संख्या एक लाख बैठती है। इससे समझा जा सकता है कि यह वायरस कितनी तेजी से फैल रहा है।
कॉलेज, विश्वविद्यालय बंद होने से छात्रों में अनिश्चितता
अमेरिका के कई राज्यों में कोरोना वायरस के चलते स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय बंद किए जाने से छात्रों में अनिश्चितता का माहौल है। खासतौर पर विदेशी छात्रों के सामने समस्या खड़ी हो गई है। कम आय वाले छात्रों में चिंता इस बात को लेकर है कि क्या वे घर लौटने का खर्च उठा सकते हैं? जबकि अंतरराष्ट्रीय छात्र ऑनलाइन क्लासेज को लेकर चिंतित हैं क्योंकि उनके वीजा में आमतौर पर ऑनलाइन क्लासेज की अनुमति नहीं है। रिसर्च से जुड़े छात्र अपने प्रोजेक्ट पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर परेशान हैं।