सत्यदर्शन विशेष….आस्था का केंद्र गिरौदपुरी… जानिए अमृत कुंड की खासियत ….लाखों लोग करते हैं यहां सत्य का दर्शन…

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कमलेश यादव,रायपुर:-भारत भूमि सन्तो की भूमि है।पूरे समाज को सही दिशा देने के लिए संत-महात्मा समय समय पर अवतरित होते रहते है।छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 145 किलोमीटर दूर स्थित बाबा गुरु घासीदास की जन्मस्थली गिरौदपुरी,जहां से मनखे मनखे एक समान का सन्देश देकर सभी लोगो को सत्य के मार्ग में चलने का रास्ता दिखाए है।प्राकृतिक सौन्दर्यो के बीच गिरौदपुरी में लाखों श्रद्धालू प्रतिवर्ष यहां आकर शांति का अनुभव लेकर प्रकृति के करीब पहुचते है।सत्य, अहिंसा, दया, करुणा और परोपकार जैसे संदेशों से आज भी गिरौदपुरी धाम में गुंजयमान होते रहता है।संत गुरु घासीदास ने समाज में व्याप्त कुप्रथाओं का बचपन से ही विरोध किया। उन्होंने समाज में व्याप्त छुआछूत की भावना के विरुद्ध समानता का संदेश दिया है।

अमृत कुंड
यहां आने वाले लाखों श्रद्धालुओं का आस्था का केंद्र है अमृत कुंड।इस कुंड की खासियत भी अनोखी है।इसके जल को पूर्ण विश्वास के साथ ग्रहण करने से तमाम प्रकार की व्याधियों से मुक्ति मिलती है।लाखो लोगो को स्वास्थ्य लाभ मिल चुका है।यकीनन प्रकृति का अद्भुत चमत्कार है।इस कुंड में जल की मात्रा कभी खत्म नही होती भीषण गर्मी में भी जल का स्रोत यथावत रहता है।गिरौदपुरी धाम की यात्रा इस पवित्र अमृत कुंड के जल के बगैर अधूरा है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस पवित्र जल में संजीवनी शक्ति विद्यमान है।पूरे भारतवर्ष से पवित्र जल को लेने लोगो की भीड़ साल भर लगी रहती है।

छातापहाड़
संत बाबा गुरु घासीदास का सत्य के साथ आत्म- साक्षात्कार छातापहाड़ में हुआ था।बाबा जी को सत्य का बोध हुआ था कि वास्तव में सत्य हमारे अंदर ही विद्यमान है।प्रकृति में निहित तमाम शक्तियां स्वयं को पहचानने से प्राप्त हो सकती है।स्वयं के अंदर में सत्य को खोजना है।पंचतत्व से बना शरीर मे ही प्रकृति के सभी तत्व और शक्तियां पहले से विराजमान है।यहाँ पर सतगुरु घासीदास जी द्वारा तप ,ध्यान और साधना किया गया,और दिव्यशक्ति प्राप्त हुई थी।

विश्व का सबसे ऊँचा जैतखाम
सत्य से धरती खड़ी,सत्य से खड़ा आकाश,सत्य से सृष्टि रचे,कहि गये घासीदास।सत्य और शांति का प्रतीक जैतखाम दिल्ली के कुतुबमीनार से भी ऊंचा है।इसकी ऊँचाई से विश्व बंधुत्व की भावना जागृत होती है।जैतखाम का एक एक बुनियाद सत्य का साक्षी है।और प्रत्यक्ष अड़िग खड़ा होकर पूरे मानवता को सन्देश दे रहा है कि सत्य के मार्ग में ऐसा ही दृढ़ निश्चयी बनकर खड़े रहो।इस पवित्र धाम में आकर मन शांति से अभिभूत हो जाता है।

गिरौदपुरी धाम और सतगुरु घासीदास बाबा के विषय मे लिख पाना सम्भव ही नही है।यहां की महिमा का बखान करने के लिए शब्द भी कम पड़ रहे है। ऊंचे-ऊंचे पर्वत बड़ी – बड़ी विशाल चट्टाने,वनों में फैली हुई लताएँ,बरबस ही सबका मन मोह लेती है।असीम शांति का अनुभव और स्वयं को जानने का मौका यदि कहि मिल सकता है तो वह गिरौदपुरी की यात्रा से ही सम्भव है।तपस्या के बाद जब बाबा जी को”सतनाम”ज्ञान प्राप्त हुआ,तो उन्होंने यहीं अपने चरण धोए थे उसे चरण कुंड कहा जाता है।छत्तीसगढ़ की पावन धरा पर सत्य को समझने के लिए एक बार जरूर गिरौदपुरी की मधुर यात्रा करे।

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