*_अतुल्य बस्तर विशेष…._* पाला ग्राम पंचायत का * *”गंड़दुल”* बहुत ही खुबसूरत पिकनिक सैर सपाटे का पर्यटन स्थल जहां हम मन मोहक वादियों में प्रकृति का लुफ्त उठाकर नैसर्गिक सौंदर्य को निहारते हैं |…..अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित लेखक युवा हस्ताक्षर *विश्वनाथ देवांगन उर्फ मुस्कुराता बस्तर* की कलम से खोजी यात्रा वृतांत….,, _*गंड़दुल* ,,

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बस्तर की खूबसूरत वादियों में जीवन के रंग छिपे हैं,जिसे निहारने की बेहद जरूरत है,हम बस्तर को जानने के जितना करीब जाते हैं,उतना ही विस्तृत इतिहास निकलता जाता है,जो बस्तर की विविधता और खूबसुरती को इंगित करता है |

यदि आप पिकनिक मनाने की सोच रहें हैं तो जाऐं इस जगह, शहर से है करीब यदि आप दोस्तों के साथ पिकनिक आदि मनाने की सोच रहे हैं तो अब आपको ज्यादा दूर जाने की जरुरत नहीं। जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर एक ऐसी जगह है,जो पिकनीक स्पॉट के लिए बेहतर है ।

यदि आप छत्तीसगढ़ बस्तर के जिला मुख्यालय कोंडागांव के आसपास रहते हैं,और इस मौसम में अपने दोस्तो,परिवार के साथ पिकनीक आदि मानाने की सोच रहे तो अब आपको ज्यादा दूर कहीं जाने की जरूरत नही हैं।

जिला मुख्यालय कोंडागांव के पास ही कई ऐसे स्थान हैं,जहां आप अपनी पिकनीक मना सकते है। कोण्डागांव से नारायणपुर की ओर जाने वाले मार्ग में करीब 20 किलोमीटर की दूरी के बाद किबईबालेंगा से जैसे ही आगे जायेगे तो कोदागांव के पहले ग्राम पंचायत पाला जाने वाले मार्ग में पाला ग्राम पंचायत में एक जगह ऐसी है जो इंद्रावती नदी की मुख्य सहायक नदियो में शामिल भंवरडीग नदी गुजरती हैं। जहां टीले मुहानों से मिलकर नदीं की खूबसरती बढ़ जाती है |

यहां असंख्य छोटे व बड़े-बड़े पत्थरों के बीच से होते हुए नदी का पानी कलकल करते हुए बह रहा है। नदी के एक किनारे में दूर तक रेत ही रेत नजर आती है। पक्षियों की करवल यहां पहुंचते ही मन को मोहने लगती है, हालांकि अभी तक इस स्थान का आनंद ग्रामीण ही लेते आए हैं |एंडवेंचर से भरा है यह इलाका-
ग्रामीणों की माने तो यहां पहले जंगली जानवर आते थे और यहां के बडे-बड़े पत्थरों व झाडियों के पीछे ये जानवर रहा करते थे, सालभर नदी में पानी होने के चलते जानवरो ने इसे यहां अपना डेरा जमा लिया था। जिसके चलते काफी समय तक यहां ग्रामीण आने से भी डरते थे, लेकिन अब यह इलाका पूरी तरह से सुरक्षित है।

एक ही नदी दो अलग-अलग दिशाओं से बहते हैं,फिर एक साथ मिल जाती है। नदी के दो अलग-अलग हिस्सों से बहने के चलते इस बीच करीब आधा किलोमीटर का एक टापू भी है, जहां ठंड के दिनों में जया जा सकता है,यही पर रंग-बिरंगी तितलियो के कई झुंड भी देखने को मिल जाते है। इसी टापू पर कई औषधीय पेड़-पौधे भी बिखरे हुए हैं। अब लोग भी यहां आने-जाने लगे हैं।

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