कमलेश यादव,रायपुर:-नींव की ईंट हमेशा से ही उपेक्षित रहा है,हमारे बुजुर्ग जिनके विरासतों पर हम अपना हक तो समझते है,लेकिन उनके अनुभवों को पुराना कहके खारिज कर दिया जाता है। जिंदगी के चकाचौंध और एकल परिवार में अकेले पड़े बुजुर्गो के लिए मसीहा बनकर सामने आए रायपुर के सफल उद्योगपति व प्रतिष्ठित समाजसेवी राजेश अग्रवाल जी,हमेशा से ही दूसरों की सेवा को अपना मानव धर्म मानते है। असहाय बुजुर्गो की सेवा के लिए अपने घर को समर्पित कर दिए है।चितवन(मेरा घर)मे रहने वाले सभी बुजुर्गो के लिए श्रवण कुमार बनकर राजेश अग्रवाल जी बेटे की जिम्मेदारी निभा रहे है।
चितवन परिवार आज पुरे पांच वर्ष पुरा कर चुका है।इस सफर के दौरान कई दर्द भरे दास्तान को अपने जीवन के हिस्से से जोड़कर बदलाव का संदेश पूरे समाज को दे रहे है।राजेश अग्रवाल जी का मानना है, “बुजुर्ग समाज की जिम्मेदारी है, उन्हें रहम नही प्रेम की जरूरत है।”बुजुर्गो के अनुभवों के उपयोग से वर्तमान पीढ़ी आगे बढ़ सकता है।चितवन परिवार के सभी सदस्यों के साथ भोजन करना , खेलना , मुवी , मंदिर , गार्डन , भ्रमण पर जाना , अपने सभी शुभ मांगलिक कार्य जन्मदिन , मैरिज एनर्वसरी तीज -त्यौहार साथ मनाना जैसे जीवन का हिस्सा सा हो गया है।
हमारे देश को युवाओ का देश कहा जाता है,और युवाओ के इस देश मे बुजुर्गो का हाल बहुत चिंतनीय है।सामाजिक आदर्शो पर पैसा भारी पड़ रहा है।चितवन परिवार में ऐसे भी सदस्य है जिन्हें अपने घरों से आर्थिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है।उम्र के इस पड़ाव में चितवन परिवार का साथ निःसन्देह पूरे समाज को सकारात्मक शिक्षा दे रहा है।समाजसेवी राजेश अग्रवाल जी ने समाज के धरोहरों को आश्रय देकर बहुत ही नेक कार्य किये है।
कांपते हाथो और चेहरे की झुर्रियों में समाज की वास्तविक कहानी बयां कर रही है।इन्हें आर्थिक नही भावनात्मक सहयोग की जरूरत है।कोई तो हो ,जो आकर खैरियत पूछे,प्यार के दो शब्द कहे। समाजसेवी राजेश अग्रवाल जी द्वारा सभी के लिए बेटे की भूमिका निभाना निःसन्देह काबिलेतारीफ है।वे हमेशा लोगो को यही संदेश देते है,”सबको अपना बनाओ,सबके अपने बन जाओ”।सत्यदर्शन चैनल इस जज्बे को सलाम करता है।और युवाओ से अपील करता है सोशल मीडिया में सोशल होने के साथ असल जिंदगी में भी यह किरदार अपनाए।
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