चित्रकला की ऐसी तीर्थ जहाँ जाने से आपको साहस दृढ़ इच्छाशक्ति और एक नयी ऊर्जा का अनुभव करेंगे…२७ साल से बेड व्हिलचेयर पर अपनी जीवन यात्रा पर बसंत साहू…अनेक विषयों पर बनायी गयी क़रीब १०० पेंटिंग का प्रदर्शनी…जहां प्यार है वहां अक्षमता नहीं केवल क्षमता है

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मेरा नाम बसंत साहू है,मैं विगत 27 वर्षों से बेड पर हूं मेरा शरीर भले ही जवाब दे रहा है पर मैंने हमेशा अपने आपको सक्षम माना है इस दुनिया को बनाने वाला चलाने वाला ऐसी कोई दिव्य शक्ति जरूर है जिसने सभी को संभाला हुआ है।मेरी जिंदगी की तपस्या है मेरी अपनी कला जी हां चित्रकारी जिसे प्रदर्शनी के माध्यम से आपके समक्ष रखने जा रहा हूँ।छत्तीसगढ़ की धमतरी जिले के कुरूद में 22 से 24 नवम्बर को आपकी उपस्थिति मेरी ताकत होगी।

सत्यदर्शन लाइव को बसंत साहू जी ने बताया है कि मुझे मरने से डर नहीं लगता और ना ही मुझे मरने की जल्दी है लेकिन मरने से पहले बहुत कुछ अच्छा करना चाहता हूँ ,,,दिव्यांगता चुनौतीपूर्ण है लेकिन सपनों को पूरा करने और अपने चुने हुए फील्ड में सफलता प्राप्त करने में बाधा नहीं हो सकती है इसके लिए साहस, दृढ़ इच्छाशक्ति और एक सहायक वातावरण की जरूरत होती है।जहां प्यार है वहां अक्षमता नहीं केवल क्षमता है,क्योंकि हम सक्षम हो जाते हैं।दिव्यांगता उनके साथ नहीं है, यह हमारे दिमाग में है सभी माता पिता अपने बच्चों में उसकी प्रतिभा देख उसे प्रोत्साहित करें अच्छे वातावरण देकर परवरिश करें उनकी साहस आत्मबल बढ़ाएँ।

प्रिय साथियों २२ नवम्बर को मेरा ५०वाँ जन्मदिन है मैं मंगल भवन कुरुद में अनेक विषयों पर बनायी गयी क़रीब १०० पेंटिंग का प्रदर्शनी लगाने जा रहा हूँ जो २३,,२४ नवम्बर तक चलेगी आप अपने बच्चों फ़ेमलि दोस्तों के साथ अवलोकन हेतु ज़रूर आए आप निश्चित रूप से एक नयी ऊर्जा ओर सकारात्मक शक्ति का अनुभव करेंगे

२३साल के उम्र में एक दुर्घटना के कारण मैं २७ साल से बेड व्हिलचेयर पर अपनी जीवन यात्रा पर हूँ कला मेरी साधना है मनुष्य का मन असीम संभावना से भरा है जब संकल्प कर ले तो अपनी आत्मबल से कुछ भी कर सकता है यह मेरा अनुभव है इंसान की शक्ति उसकी आत्मा में होती है और आत्मा कभी दिव्यांग नही होता

यह सब मेरे माता-पिता, मेरे परिवार के सदस्यों दोस्तों का धन्यवाद है, जिन्होंने मेरी कठिन से कठिन समय में मदद की. मैं एक लंबा सफर तय कर चुका हूँ मेरी बनाई पेंटिंग कई प्रतिष्ठित जगह के साथ राष्टपति भवन में भी लगायी गयी है यह मेरे लिए ख़ुशी की बात है।

मेरी माँ मेरी ताकत
माँ माँ माँ यह महज शब्द नही है मेरी शक्ति है ऐसी शक्ति जिसने पाला पोसा और इस काबिल बनाया की समाज को कुछ लौटा सकूं।ईश्वर ने अपनी प्रतिरूप माँ के रूप में मेरे संग परछाई की तरह भेजा हुआ है।आज के दौर में युवा माता पिता को नज़र अन्दाज़ कर रहे वही एक मा अपनी सच्ची सेवा साधना से इतनी विषम परिस्थिति में भी बेटे को समाज में सर उठा के जीने लायक़ बनाने में कोई कसर नही छोड़ रही है।मेरी माँ अहिल्या साहू ने दुर्घटना के २७ वर्षो से अपनी हर ख़ुशी त्याग कर हर क्षण सेवा में रत रहती है माँ कभी उफ़्फ़ शब्द नहि बोलती वही तो माँ है आज जो भी हूँ जेसा भी हूँ अपनी माँ की वजह से हूँ लोग मुझे चित्रकार के रूप में मुझे जानते है तो पूरा श्रेय मेरी माँ को जाता है।

इसलिए आज के युवाओं को बताना चाहता हूँ माँ भगवान का रूप हे उन्हें कभी भी दुःख न देना अगर आपके कारण उनके आँख में आंसू आए तो कोई भी ईश्वर तुम्हें माफ़ नहि कर पाएगा आपकी कामयाबी में भी जन्म देने वाली माँ का आशीर्वाद है।

सत्यदर्शन लाइव अपने पाठकों से अनुरोध करता है कि चित्रकला की अनोखी प्रदर्शनी में आकर अपनी गरिमामय उपस्थित प्रदान करे।

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