कमलेश यादव : छत्तीसगढ़ की पद्म श्री फुलबासन यादव का जीवन हर व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक है। वे प्रतिदिन सुबह योग और ध्यान का अभ्यास करती हैं, जिससे उन्हें अपनी दिनचर्या को प्रभावी और स्फूर्ति से भरपूर बनाने में मदद मिलती है। उनका मानना है कि योग और ध्यान न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि मानसिक शांति और आत्म-संयम के लिए भी आवश्यक है।
पद्म श्री फुलबासन यादव का दिन योग और ध्यान से शुरू होता है। वे मानती हैं कि यह उनकी ऊर्जा का स्रोत है। प्रतिदिन सुबह तीन बजे उठकर वे योग के विभिन्न आसनों और प्राणायाम का अभ्यास करती हैं। वह 30 वर्षों से निरंतर योग कर रही हैं। उनका कहना है कि योग ने उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाया है और उनके जीवन में संतुलन बनाए रखा है। योग के बाद वे ध्यान करती हैं, जिससे उन्हें दिनभर के कार्यों के लिए मानसिक शांति और ऊर्जा मिलती है।
इसके बाद फुलबासन यादव अपने स्वयं सहायता समूहों की गतिविधियों में व्यस्त हो जाती हैं। वे महिलाओं को स्वरोजगार के विभिन्न अवसर प्रदान करती हैं और उन्हें स्वावलंबी बनने के लिए प्रेरित करती हैं। उनके प्रयासों से महिलाओं ने छोटे-छोटे उद्योग जैसे हस्तशिल्प, सिलाई, बुनाई, और खेती में महारत हासिल की है।
पद्म श्री फुलबासन यादव का जन्म छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव छुरिया में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने अपने गांव और आसपास की महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने का संकल्प लिया। उन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वयं सहायता समूहों की स्थापना की और उन्हें विभिन्न प्रकार के कौशल सिखाए, जिससे वे आर्थिक रूप से मजबूत बन सकें।
फुलबासन यादव का यह प्रयास रंग लाया और उन्होंने हजारों महिलाओं की जिंदगी बदल दी। उनके योगदान के लिए उन्हें 2012 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया। इस सम्मान ने न केवल उनके कार्यों को सराहा, बल्कि उन्हें और अधिक मेहनत और समर्पण के साथ काम करने के लिए प्रेरित किया।
फुलबासन यादव का जीवन संघर्ष और सफलता की एक मिसाल है। उनकी कहानी से यह सिखने को मिलता है कि यदि हम अपनी सोच और मेहनत में ईमानदारी रखते हैं, तो कोई भी बाधा हमारे रास्ते का रोड़ा नहीं बन सकती। योग और ध्यान के माध्यम से उन्होंने न केवल अपना जीवन सुधारा बल्कि हजारों अन्य लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनीं।