जन्म-मृत्यु पंजीकरण बिल क्या है, जानें डिजिटल बर्थ सर्टिफिकेट के फायदे

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जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969। इसके अनुसार जन्म लेने वाले और दुनिया को अलविदा कहने वालों का रजिस्ट्रेशन जरूरी है। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969 में संशोधन के लिए एक नया विधेयक लोकसभा में पेश किया।ऐसे में अगर बदलाव होता है तो नए नियम क्या होंगे, जन्म और मृत्यु का रिकॉर्ड रखना क्यों जरूरी है इन सबके बारे में डिटेल में जानेंगे आज।

एक्सपर्ट:सुप्रीम कोर्ट

सवाल: बर्थ और डेथ रजिस्ट्रेशन के नियमों में बदलाव क्यों किया गया?
जवाब: यह बिल लोगों की सुविधाओं को आसान बनाने के मकसद से लाया गया है।इस बिल से बर्थ-डेथ सर्टिफिकेट का रजिस्ट्रेशन आसान हो जाएगा।बिल में लोगों की सुविधा और फायदे के लिए बर्थ और डेथ सर्टिफिकेट में डिजिटल रजिस्ट्रेशन और इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी का प्रोविजन किया गया है।

जन्म और मृत्यु पंजीकरण विधेयक लाने के उद्देश्य को समझते हैं
बर्थ और डेथ का राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय डेटाबेस तैयार किया जाएगा। इससे डेटाबेस अपडेट करने का प्रोसीजर आसान होगा और लोगों को अच्छी सर्विसेज मिलेंगी।
बर्थ सर्टिफिकेट आधार नंबर से लिंक होगा। जिससे वैरिफिकेशन प्रोसेस आसान हो जाएगा और फ्रॉड कम होगा।
स्कूल में एडमिशन, ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने, वोटर लिस्ट तैयार करने, मैरिज रजिस्ट्रेशन, गवर्नमेंट एम्प्लॉयमेंट, पासपोर्ट समेत कई प्रोसेस के लिए जरूरी होगा।
गोद लिए, अनाथ, छोड़े हुए और सरोगेट बच्चों के साथ-साथ सिंगल मदर-फॉदर या अनमैरिड मां के बच्चों के रजिस्ट्रेशन के प्रोसेस को आसान बनाएगा।

सवाल: जन्म और मृत्यु का रजिस्ट्रेशन तो अभी भी हो रहा है, ऐसे में नए बिल में अलग क्या है?
जवाब: नया कानून बनने से कई मामलों में बर्थ सर्टिफिकेट जरूरी हो जाएगा। इससे सभी मामलों में किसी व्यक्ति की एज और बर्थ प्लेस प्रूव करने के लिए इसे वैलिड सर्टिफिकेट माना जाएगा।इससे देश में बर्थ डेट और प्लेस को प्रूफ करने के लिए तमाम डॉक्यूमेंट्स को दिखाने से बचेंगे।

सबसे बड़ा बदलाव यह होगा कि बर्थ और डेथ सर्टिफिकेट का सारा प्रोसेस ऑनलाइन हो जाएगा। जबकि पहले इसकी हार्ड कॉपी ही मिल पाती थी। उसके लिए भी कई-कई दिनों तक दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते थे।इस बिल में बर्थ-डेथ को एक केंद्रीकृत पोर्टल पर रजिस्टर्ड करने का प्रावधान है।

सवाल: जो नया बिल लोकसभा में पेश हुआ है उसकी क्या विशेषताएं हैं?
जवाब: पॉइंट्स से समझते हैं-
जन्म और मृत्यु का डेटाबेस
भारत के रजिस्ट्रार-जनरल की नियुक्ति का प्रावधान है जो बर्थ-डेथ रजिस्ट्रेशन के लिए सामान्य निर्देश जारी करेंगे।
रजिस्ट्रार-जनरल रजिस्ट्रर्ड जन्म और मृत्यु का नेशनल डेटाबेस भी बनाएगें।

इलेक्ट्रॉनिक सर्टिफिकेट
कोई भी व्यक्ति जन्म और मृत्यु से रिलेटेड जानकारी के लिए रजिस्ट्रार से ऑथराइज कॉपी ले सकत सकता है।
इसका ऑनलाइन डेटाबेस भी बनेगा। इस डेटाबेस को सरकार अपनी अथॉरिटी के साथ शेयर कर सकती है।
पेरेंट्स और इंफॉर्म करने वालों की आधार डिटेल

बर्थ और डेथ की रिपोर्ट रजिस्ट्रार को देनी होगी।
जन्म-मृत्यु का रजिस्ट्रेशन कराने गए पेरेंट्स या इंफॉर्म करने वाले को भी अपनी आधार डिटेल देनी होगी।इस डेटाबेस में जनसंख्या रजिस्टर, वोटर लिस्ट, राशन कार्ड समेत कई नेशनल डेटाबेस शामिल हैं।
नेशनल डेटाबेस को केंद्र सरकार एप्रूव्ड करेगी। इसी तरह राज्य डेटाबेस को राज्य सरकार की मंजूरी के साथ बाकी राज्यों के डेटाबेस से कनेक्ट किया जाएगा।

अपील प्रोसेस
किसी कार्रवाई या आदेश से संतुष्ट न होने पर जिला रजिस्ट्रार या चीफ रजिस्ट्रार के पास अपील कर सकते हैं।
अपील कार्रवाई या आदेश मिलने के 30 दिनों के अंदर की जानी चाहिए। वहीं जिला रजिस्ट्रार या मुख्य रजिस्ट्रार को अपील की तारीख से 90 दिनों के अंदर अपना डिसीजन देना होगा।

सवाल: क्या बर्थ-डेथ सर्टिफिकेट का इस्तेमाल आधार कार्ड की तरह ही होगा?
जवाब: ऐसे समझें- अभी तक आधार को हर जगह पहचान पत्र की तरह यूज करते हैं, और इसे अपने हर दूसरे डॉक्यूमेंट और अकाउंट से लिंक कराने की जरूरत पड़ती है।उसी तरह ये बर्थ-डेथ सर्टिफिकेट होगा, जोकि बर्थ और डेथ प्रूफ के लिए हर जगह पर सर्वमान्य पहचान पत्र की तरह काम करेगा।

सवाल: डिजिटल जन्म प्रमाणपत्र क्या है और इसके क्या फायदे होंगे?
जवाब: डिजिटल बर्थ सर्टिफिकेट एक ऐसा सिंगल डॉक्यूमेंट है, जिसका यूज किसी भी व्यक्ति की बर्थ डेट और प्लेस को प्रूव करने के लिए किया जाता है।डिजिटल बर्थ रजिस्ट्रेशन से देश में बर्थ डेट और प्लेस को साबित करने के लिए किसी और डॉक्यूमेंट की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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