आज के दौर में बीजी ठंडी हवा के झोंके की तरह: डॉ.राजाराम त्रिपाठी
इन दिनों स्वांत सुखाय लेखन की भरमार हो गई है। ज्यादातर लेखक रचना के नाम पर अपनी कुंठाओं,अंतर्विरोधों, पूर्वाग्रहों,विकृतियों का वमन परोस रहे हैं। साहित्य और समाज दोनों के ही लिए यह स्थिति खतरनाक है। प्रकृति पर्यावरण तथा सामाजिक सरोकारों से परे लेखन की कोई सामाजिक उपादेयता नहीं होती। ऐसे माहौल में भावप्रवण रचनाकार करमजीत कौर की यह किताब ‘बीजी’ ठंडी हवा के झोंके की तरह आई है। इनकी रचनाएं मानवीय संवेदनाओं से ओत-प्रोत हैं और पाठक के दिल को छू लेती हैं और एक बेहतर मनुष्य बनने को प्रेरित करती है। : डॉ.राजाराम त्रिपाठी ( मुख्य अतिथि)
बस्तर छत्तीसगढ़ : बहुमुखी प्रतिभा की धनी कहानीकार करमजीत कौर की प्रथम पुस्तक कहानी संग्रह बीजी का भव्य लोकार्पण श्री त्रिलोक महावर ( संचालक छत्तीसगढ प्रशासन अकादमी) की अध्यक्षता एवं डाॅ.राजाराम त्रिपाठी (संपादक -ककसाड़ पत्रिका ) के मुख्य आतिथ्य में पुस्तक का लोकार्पण बस्तर चेंबर ऑफ कामर्स के सभागार में नगर के साहित्यकारों की उपस्थिति में जगदलपुर में संपन्न हुआ । विशिष्ट अतिथि श्री बी. आर. नायडू , आकाशवाणी के उद्घोषक के.परेश एवं कथाकार सुश्री उर्मिला आचार्य मंचासीन थे । सृजन बिंब प्रकाशन की निदेशक रीमा दीवान चड्ढा ने कार्यक्रम का संचालन किया । आयोजन का शुभारंभ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवन से हुआ । अतिथियों के सत्कार के बाद लेखिका करमजीत कौर ने कहानी संग्रह बीजी की प्रस्तावना रखी और कहा कि अपने अंतर्मन की भावनाओं को आज बीजी के माध्यम से वे अभिव्यक्त कर पाई हैं। यह पुस्तक उन्होंने अपनी मां और पति को समर्पित की है ।
अध्यक्ष त्रिलोक महावर जी ने संवेदना के धरातल पर रचे इस कहानी संग्रह को तकनीकी दौर में संवेदनहीन होते समाज के लिये आवश्यक बताया और इसका स्वागत किया । मुख्य अतिथि डॉ राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि, भावप्रवण रचनाकार करमजीत की रचनाएं मानवीय संवेदनाओं से ओत-प्रोत हैं और पाठक के दिल को छू लेती हैं, और एक बेहतर मनुष्य बनने को प्रेरित करती है। श्री बी.एन.आर. नायडू ने लेखिका की बेबाक लेखनी की प्रशंसा की । के .परेश ने करमजीत कौर के साथ एंकरिंग के अनुभव साझा किये और उन्हें कलम की धनी कहा । उर्मिला आचार्य ने लेखिका की सहज अभिव्यक्ति की प्रशंसा की । खुदेजा खान ने पुस्तक की निष्पक्ष समीक्षा की और संवेदनशील कहानियों को पठनीय बताया । प्रकाशक रीमा दीवान चड्ढा ने लेखकीय साहित्यिक ईमानदारी और सत्य बयानी की साहसिकता पर लेखिका को साधुवाद कहा । पुस्तक का मुखपृष्ठ बनाने वाली भावना अरोरा का भी अभिनंदन किया गया। धन्यवाद करमजीत कौर ने दिया ।
इस आयोजन में ललिता यादव ,वंदना भदौरिया एवं ज्योति चौहान ने विशेष रूप से सहयोग किया । आयोजन में नगर के प्रबुद्ध साहित्यकार मदन आचार्य ,सुभाष पांडे ,योगेन्द्र मोतीवाला ,किशोर पारेख ,विपिन बिहारी दास ,धर्मेन्द्र ठाकुर, सनत जैन , मोहिनी ठाकुर ,नरेन्द्र पाढ़ी ,अनीता राज ,मधु कुशवाहा ,कविता बिजौलिया ,पूर्णिमा सरोज ,डाॅ.मूर्ति ,भरत गंगादित्य,शशांक शेंडे ,ब्रजेश भदौरिया (नीटू ), डॉ अखिलेश त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार अजय श्रीवास्तव,संतोष दीवान , सपना दीवान एवं बड़ी संख्या में अंचल साहित्यकार उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों को बस्तर की लौहकला के स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया।