राजनांदगांव : बालोद जिले के जनसंपर्क अधिकारी श्री चन्द्रेश ठाकुर ने कहा कि हमारे देश एवं समाज की आत्मा गांव में निवास करती है। उन्होंने गांव एवं ग्रामीण संस्कृति को प्रेम , भाईचारा एवं सामाजिक सौहार्द की जन्मस्थली बताते हुए ग्रामवासियों से आपसी भाईचारा, प्रेम , सद्भावना एवं परस्पर सहयोग की महान परंपरा को अक्ष्क्षुण बनाए रखने की अपील की। श्री ठाकुर शनिवार 02 नवंबर को मोहला विकासखण्ड के सुदूर वनांचल एवं अपने गृह ग्राम मुरेर में दीपावली की शुभ रात्रि के अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम समारोह को संबोधित कर रहे थे। वे कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्राम पंचायत मार्री के सरपंच श्रीमती गैंदकुंवर ठाकुर ने किया।
गौरतलब है कि कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में ग्राम पंचायत मार्री के उप सरपंच श्री जगन्नाथ चुरेन्द्र, ग्राम पटेल श्री थानुराम नुरूटी, श्री लतखोर नुरूटी, श्री मोहन चुरेन्द्र, श्री किशन परतेती, श्री नवलदास साहू, श्री रेशम नुरेशिया, श्री बंशीलाल ठाकुर, श्री गिरधारी पाटिल, कुशल मार्शल श्री गुलाब गावरे, श्री हेमलाल नेताम, नवयुवक समिति के अध्यक्ष श्री राजू गोटा, श्री गौतर कामरो सहित अन्य अतिथिगण उपस्थित थे। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ी नाचा पार्टी ग्राम सुवरबोड़ जिला बालोद के कलाकारों के द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी गई।
समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि श्री चन्द्रेश ठाकुर ने गांव एवं ग्रामीण संस्कृति के महत्व एवं जीवन पद्धति के संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने कहा कि व्यक्ति चाहे दुनिया के किसी भी विश्व विद्यालय एवं बड़े से बड़े शिक्षण संस्थाओं में शिक्षा अर्जन कर ले किंतु वह भारत को तब तक नही समझ सकता जब तक वह गांव में अपना समय व्यतीत न किया हो। उन्होंने गांव को हमारे गौरवशाली संास्कृतिक विरासत, शास्वत एवं नैतिकमूल्यों की संस्कार भूमि बताते हुए ग्रामीणों को एक-दूसरे के प्रति पे्रम, सहयोग, आपसी विश्वास एवं सुमति को बनाए रखने को कहा। श्री ठाकुर ने ग्रामीणों को एक-दूसरे के सुख-दुख तकलीफ पीड़ा को समझते हुए हर परिस्थिति में एक-दूसरे का सहयोग करने को कहा। उन्होंने नशापान को विनाश का जड़ बताते हुए ग्रामीणों को इससे सर्वथा दूर रहने की अपील की। श्री ठाकुर ने शिक्षा को समाज व देश के विकास के लिए ब्रह्मस्त्र बताते हुए हमारी आने वाली पीढ़ी को उच्च शिक्षित एवं संस्कारवान बनाने के लिए प्रण लेने को कहा। उन्होंने कहा कि गीत, संगीत और कला का मनुष्य के साथ अन्योनाश्रय संबंध है। श्री ठाकुर ने कहा कि उत्सव के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन के माध्यम से एक-दूसरे से मिलने-जुलने का भी मौका मिलता है। उन्होंने इस अवसर पर ग्रामीणों को कुरीतियों एवं बुराईयों का परित्याग करने तथा अपने आर्थिक स्थिति को सुधारने की दिशा में भी काम करने को कहा।