मोर छत्तीसगढ़ के माटी तोला डंडा शरण पखारौ…..सूर्यकांत तिवारी जी

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मोर छत्तीसगढ़ के माटी, तोला डंडा शरण पखारौ
मोर छत्तीसगढ़ ……
तोरेच बर मैं जिऔ ..ओ जननी, तोरेच बर मर जाऔ
मोर छत्तीसगढ़ के…….
जियत-मरत ले तोर नता ह ..2
मन ले नई तो भूलाये….

तेहि मोर अंग अंग ओ माता, तेहि मोर चोला बनाये
तेहि मोर चोला बनाये
हे महतारी, भुइयां दाई, तोर अंगना म जस गावौ
मोर छत्तीसगढ़….
अंग अंग तोर नाम जपत हे….2

तन मन तहि ह समाये….
रोम रोम तोर भाव हे मैय्या, जो भक्ति रस बन आये
जो भक्ति रस बन आये
सुन मोर जननी, सुन मोर माता, तोरे बर बलि बलि जाऔ

मोर छत्तीसगढ़ के माटी तोला डंडा शरण पखारौ
मोर छत्तीसगढ़ के….
तोरेच बर मैं जिऔ ओ जननी, तोरेच बर मर जाऔ
मोर छत्तीसगढ़……

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