हर सांस में उम्मीद: मैंने खुद से एक वादा किया है—कभी हार नहीं मानूंगी, और जितना संभव हो सके, अपने जैसे मरीजों को इस संघर्ष में ताकत दूंगी…मुक्ता श्रीवास्तव
मैं, मुक्ता श्रीवास्तव, रायपुर की रहने वाली हूँ। आज जब मैं अपने जीवन को पीछे मुड़कर देखती हूँ, तो एहसास होता है कि हर चुनौती अपने साथ एक नई राह लेकर आती है। कुछ समय पहले तक मेरी ज़िंदगी सामान्य थी, लेकिन अचानक मेरी किडनी खराब हो गईं। डॉक्टरों ने बताया कि मुझे डायलिसिस की जरूरत है। यह खबर मेरे और मेरे परिवार के लिए किसी सदमे से कम नहीं थी।
डायलिसिस का सफर शारीरिक और मानसिक रूप से कठिन था। बार-बार अस्पताल जाना, दर्द सहना, और यह एहसास कि अब मुझे इस चिकित्सा प्रक्रिया पर निर्भर रहना होगा, मेरे लिए चुनौतीपूर्ण था। लेकिन मैंने इस कठिनाई को अपनी कमजोरी बनने नहीं दिया। इसके विपरीत, मैंने इसे एक अवसर के रूप में देखा, जिससे मैं और मजबूत बन सकूं। मैंने ठान लिया कि अगर मैं इस परिस्थिति से गुजर रही हूँ, तो मेरे जैसे और भी लोग होंगे, जो इस दर्द से जूझ रहे होंगे। मुझे समझ में आया कि अगर मैं अपनी कहानी और संघर्ष को साझा करूँ, तो शायद मैं उनके लिए प्रेरणा बन सकती हूँ।
यही सोच मेरे जीवन का उद्देश्य बन गई। मैंने अपने जैसे डायलिसिस पर निर्भर मरीजों की मदद करने का प्रण लिया। मैंने किडनी रोगियों को सही सलाह, चिकित्सा सहायता और मानसिक सहायता दिलाने में मदद करने के लिए समान विचारधारा वाले लोगों के साथ काम करना शुरू किया। मैंने देखा कि जरूरतमंद लोगों की मदद करने में हमें अंदर से एक असीम शक्ति मिलती है।
आज, मैं जानती हूँ कि जिंदगी में हर चुनौती हमें कुछ सिखाने आती है। यह सिर्फ एक शारीरिक संघर्ष नहीं है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक शक्ति का भी इम्तिहान है। मैंने खुद से एक वादा किया है—कभी हार नहीं मानूंगी, और जितना संभव हो सके, अपने जैसे मरीजों को इस संघर्ष में ताकत दूंगी। क्योंकि मैं जानती हूँ, एक मजबूत हृदय और एक सकारात्मक दृष्टिकोण जीवन में चमत्कार ला सकता है।
आखिर में, यही कहना चाहूंगी चाहे हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों, अगर हम अपने दिल में उम्मीद और अपने मन में संकल्प रखते हैं, तो कोई भी चुनौती हमें रोक नहीं सकती।