मनखे-मनखे एक समान का संदेश देने वाले परमपूज्य बाबा घासीदास जी…

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समाज मे जब कुरीतियों का प्रभाव बढ़ जाता है तब समय-समय पर ईश्वर महान सन्तो को इस जमीं पर भेज देते है ताकि उनके दिए हुए सन्देश से पूरा समाज सत्य का साक्षात्कार कर सके।ऐसे ही महान संत गुरु घासीदास बाबा जी ने समाज को एक नई दिशा दी है।वे जात-पात और रूढ़िवादी विचारों के सख्त खिलाफ थे।उनका दिया हुआ सन्देश ईश्वर एक है,भले ही उपासना के मार्ग अलग हो सकते है।

सत्गुरू घासीदास जी की सात शिक्षाएँ हैं-(१) सतनाम् पर विश्वास रखना।(२) जीव हत्या नहीं करना।(३) मांसाहार नहीं करना।(४) चोरी, जुआ से दूर रहना।(५) नशा सेवन नहीं करना।(६) जाति-पाति के प्रपंच में नहीं पड़ना।(७) व्यभिचार नहीं करना।सत्य एवं अहिंसा,धैर्य,लगन,
करूणा,कर्म,सरलता,व्यवहार को अपने जीवन में उतारने का संदेश दिए है।

सत्गुरू घासीदास का जीवन दर्शन युगों तक मानवता का संदेश देता रहेगा वे आधुनिक युग के सशक्त क्रांतिदर्शी गुरु है।इनके जीवन मे सत्य,अहिंसा,करूणा तथा जीवन का ध्येय उदात्त रूप से प्रकट होता है।गुरु घासीदास के उपदेशों से समाज के असहाय लोगो मे आत्मविश्वास, व्यक्तित्व की पहचान और अन्याय से जूझने की शक्ति का संचार हुआ है।

 

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