माओवादी भय के बीच इस शिक्षक के दृढ़ संकल्प के सामने विपरीत परिस्थितियों को भी झुकना पड़ा…रचनात्मकता और नवीनता के प्रति शिक्षक अंगद सलामे की प्रतिबद्धता ने उनके छात्रों के जीवन को बदल दिया…पढ़िए प्ररेणादायी कहानी

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कमलेश यादव : सुबह तकरीबन 4 बजे से ही लोगों की दिनचर्या शुरू हो जाती है।सघन पहाड़ी वन और ऊंचे चट्टान भरी पहाड़ इस गांव की विशेषता है।यहां के रहवासी आजीविका के लिए जंगल मे मिलने वाले उत्पाद के ऊपर निर्भर रहते है।वर्ष 2011 में जब एक नवयुवक अंगद सलामे शिक्षक बनकर इस गाँव मे आया उस वक्त गांवों की सड़कों पर बिजली की रोशनी नहीं होती थी।घरो में भी लालटेन या तेल के दिए से काम चलाया जाता।आकाश में केवल तारों की टिमटिमाहट दिखाई देती और कहीं-कहीं जगमगाते जुगनूँ देखकर बड़ा अच्छा लगता । नवाचारी शिक्षक ने अपनी ज्ञान के बलबूते पाठशाला के साथ ही पूरे गाँव मे वैचारिक क्रांति की नई शुरुआत की है।

छत्तीसगढ़ के मानचित्र में नवोदित जिला मोहला-मानपुर-चौकी के ग्रामीण अंचल के लोग भय भरी वातावरण में रहा करते थे।मदनवाड़ा की घटना तो पूरी दुनिया जानती है।इसी पंचायत का आश्रित गांव मुंजालकला जहां 70-80 के बीच आदिवासी परिवार रहते है।प्राथमिक शाला में छात्रों की उपस्थिति 10% रहती थी।बच्चों को जंगल मे उन्मुक्त घूमने में मजा आता था।पालक भी बच्चों को स्कूल भेजने के लिए परहेज करते थे।

नवाचारी शिक्षक अंगद सलामे के सामने कड़ी चुनौती थी कैसे पालकों को समझाकर बच्चों को स्कूल के लिए प्रेरित करे।वहां के रहवासी यह सोचते थे कि बच्चे पढ़ लिखकर अपनी सँस्कृति जो कि पुरखो की अमानत है कही भूल न जाये और माओवादी का खौफ दूसरी तरफ क्योकि उस समय ज्यादातर बच्चो को वे लोग जबरदस्ती अपने साथ ले जाया करते थे।पर इस शिक्षक के दृढ़ संकल्प के सामने विपरीत परिस्थितियों को भी झुकना पड़ा।

छात्रों को सबसे पहले उनकी स्थानीय गौंडी भाषा के अनुरूप पाठ्यक्रम तैयार कर पढ़ाना प्रारंभ किया।स्थानीय पर्यावरण पत्तियों और पत्थरों का प्रयोग गिनने जोड़ने घटाने में छात्रों को आनंद आने लगा।शाला के बाहर तालाब में जलीय जीव जंगली पौधे के बारे में रचनात्मक संवाद से छात्रों को पढ़ाई रुचिकर लगने लगा।प्रतिमाह शाला में सांस्कृतिक कार्यक्रमो की कार्यशाला लगाई गई।स्थानीय खेलकूद को भी बढ़ावा दिया गया।अब स्थिति ठीक उलट हो गई बच्चों ने पालकों से शाला आने की जिद शुरू कर दी।सभी बच्चों ने व्यवहारिक ज्ञान के साथ ही अच्छे अंकों से उतीर्ण हो गए।वर्तमान में यहां शिक्षा क्रांति हो गई है।सभी शिक्षक कड़ी मेहनत से छात्रों के ऊपर खास ध्यान देते है।

जैसे ही हम मुंजाल के इस प्राथमिक शाला में दाखिल हुए हमने देखा कि कक्षा की दीवारें रंगीन पेंटिंग,प्रेरणादायक विचार और रचनात्मक कलाकृति से भरी हुई है।शिक्षक अंगद सलामे का मानना ​​है कि पर्यावरण रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने और कल्पना को प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।अपने छात्रों की कल्पनाशीलता को आगे लाने के लिए,वह अक्सर नई शिक्षण विधियों की खोज करता है।

रचनात्मकता और नवीनता के प्रति शिक्षक अंगद सलामे की प्रतिबद्धता ने उनके छात्रों के जीवन को प्रभावित किया है।हर साल,उनके पूर्व छात्र उनकी कक्षा में शुरू की गई प्रकृति से जुड़कर पढ़ाई को बड़े चाव से याद करते थे।शिक्षक ने छात्रों की भावी पीढ़ियों को अपनी कलात्मक दृष्टि को अपनाने और अलग ढंग से सोचने का साहस करने के लिए प्रेरित किया है।सत्यदर्शन लाइव शिक्षक अंगद सलामे की नवाचार को सलाम करता है।

(यदि आपके पास भी कुछ विशेष लेख या जानकारी है तो satyadarshanlive@gmail.com पर लिखे या 7587482923 में मैसेज करें)

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