गोपी साहू:मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक,मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक।’ राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी की यह रचना उस समय साकार हो उठती है जब स्वास्थ्य कार्यकर्ता स्व. घासीन बाई की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित की जाती है।छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगांव जिले में छुरिया इलाके के ग्राम बम्हनी चारभाठा के उप स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ रहीं है।पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य कार्यकर्ता की यह पहली प्रतिमा है।
गौरतलब है कि स्व. घासीन बाई कोरोना की दूसरी लहर में जिंदगी की जंग हार गई थीं।10 नवंबर 2020 को 34 वर्ष की उम्र में उनका देहांत हो गया था। वे दिव्यांग थीं, बावजूद इसके वे क्षेत्रीय ग्रामीणों के लिए एक बड़ा सहारा बनी रहीं। कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर में भी उन्होंने खतरा मोल लेकर ग्रामीणों की सेवा की। पलायन कर चुके ग्रामीणों के वापस लौटने पर क्वारंटीन सेंटर में उनकी पूछ-परख, घर-घर जाकर लोगों को जागरुक करना जैसे कार्य वे करती रहीं। क्षेत्र में गर्भवती महिलाओं के लिए भी वे बड़ा सहारा रहीं। उन्होंने उप स्वास्थ्य केंद्र में ही कई प्रसव कराए। वे संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए भी प्रयासरत रहीं।