कमलेश यादव:पृथ्वी में जीवन जीने के लिए आवश्यक तत्व पानी है इसके बगैर मानवीय अस्तित्व की कल्पना भी नही किया जा सकता तभी तो कई सभ्यतायें नदी किनारे ही बसी हुई थी।मनुष्य के शरीर मे 70% पानी की मात्रा है।आज हम पानी की विशेष महत्ता के बारे में आपसे चर्चा करने वाले है।पानी हमारे मन की भाव को बहुत ही तेज गति से ऑब्जर्व करता है हमारे सोचने की क्षमता से ही उसके अंदर एक मैग्नेटिक पावर उतपन्न हो जाती है।इसीलिए बड़े बुजुर्ग कहते थे कि पानी पीते वक्त आपकी सोच सकारात्मक होनी चाहिए।
पानी की अपनी याददाश्त होती है या आसान शब्दो मे इसे समझे पानी सुपर कम्प्यूटर की तरह कार्य करती है।यह हम नही कह रहे है वैज्ञानिकों द्वारा शोध किया हुआ है।हालांकि यह शोध हमारी प्राचीन शास्त्रो में करोड़ो साल पहले हो चुका है।आज भी दक्षिण भारत के कई हिस्सों में “पीने के पानी के पात्र” की पूजा की जाती है।मध्य भारत मे मेहमान आने पर सबसे पहले पानी ही दिया जाता है।पानी की महत्ता इतनी है इसे चरणामृत बनाकर सदियो से पूजा में उपयोग किया जाता रहा है।
वास्तव में हम पानी का आदर करना भूल गए है।दादी कहा करती थी कि पानी पीते वक्त हमेशा यह सोचकर पिये की “मैं स्वस्थ हूँ मेरी याददाश्त बहुत तेज है इसके पीते ही मुझमे शक्ति का विशेष संचार हो जाएगा पानी को बहुत ही प्यार से देखते हुए संकल्प ले” कभी अस्पताल जाने की जरूरत ही नही पड़ेगी यदि हम रोजाना पानी को सम्मान दें।हमारी सोच को यह बहुत ही जल्दी आकर्षित करती है।
गौर करने वाली बात यह है जब पानी मे भावनाओं को अवशोषित करने की क्षमता होती है तो हमारा शरीर पानी से बना हुआ है इसीलिए हमे कोई अच्छी बातें कहे तो हमारे शरीर की पानी उसे ऑब्जर्व कर लेती है और हमे अच्छा फील होना शुरू हो जाता है।
विडम्बना यह है यह बातें पश्चिम की तरफ से आये तो शोध किया हुआ और पूर्व से आये तो अंधविश्वास।जबकि यह सदियो पहले शोध किया ज चुका है।हमारे ऋषि मुनियों ने इसका उल्लेख पहले ही कर दिया था।प्रतिदिन यदि पानी को संकल्प लेकर पीया जाए तो विशेष परिवर्तन दिखना शुरू हो जाएगा।पानी एक लिक्विड कम्प्यूटर है।जीवन की उतपत्ति पानी से हुई है।जैसी भावनाएं होती है वैसा ही एनर्जी पानी ऑब्जर्व कर लेती हैं।