स्वावलंबन की राह…समाज की आखिरी पंक्ति में खड़ी वो महिलाएं जो खेतों में काम करती हैं, सब्जियां उगाती हैं, फल बेचती हैं, कूड़ा बीनती हैं और मजदूरी करती हैं…उनकी कहानी सुनकर उम्मीद की किरणें जगेंगी…उन्होंने अपना सफर बकरी चराने से शुरू किया था .आज करोड़ों महिलाओं में क्रांति की अलख जगा रहीं पद्मश्री फुलबासन यादव

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कमलेश : समाज की अंतिम पंक्ति में खड़ी वे महिलाएं, जिनकी अथक मेहनत और काम को कोई नही जानता , फिर भी वे बिना किसी अपेक्षा के निस्वार्थ भाव से परिवार की मदद करती हैं।  वह खेतों में काम करती है, सब्जियाँ उगाती है , फल बेचती है, कचरा इकट्ठा करती है और मजदूरी करती है।  इन सभी महिलाओं के बीच उम्मीद की किरण जगाने वाली ऐसी महिला जो बकरियां चराने जाती हैं। जिनके कहे हर शब्द से करोड़ों महिलाओं में नई ऊर्जा का संचार होता हैं। एक ऐसा नाम जिसने अपने कर्म से पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है वह हैं श्रीमती फुलबासन यादव, जिन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया है।

संस्मरणो का प्रदेश छत्तीसगढ़ में छुरिया एक ऐसी जगह जहां पहाड़ी डोंगरी में माँ दंतेश्वरी विराजमान हैं।यहां आने के बाद स्मृतियां हमेशा के लिए मानस पटल पर अंकित हो जाती हैं। 5 दिसंबर 1969 को खूबसूरत वनों से आच्छादित छुरिया की वह सुनहरी सुबह, जब फुलबासन नाम की  शख्सियत का जन्म हुआ । कौन जानता था,माँ दंतेश्वरी के चरणों मे फूल बनकर जन्मी फुलबासन की कीर्ति चहुँओर फैल जाएगी । जिन्होंने कालांतर में सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नही थी। अभाव को प्रभाव में बदलने वाली फुलबासन को कभी कभी भूखे भी सोना पड़ता था । इसीलिए पढ़ाई भी ज्यादा नही हो पाया। लेकिन जिंदगी की पढ़ाई में वह अव्वल रहीं।

आपबीती
श्रीमती फुलबासन यादव ने सत्यदर्शन लाइव को बताया कि उनका दांपत्य जीवन राजनांदगांव से लगभग 9 किमी दूर स्थित सुकुलदैहान से शुरू हुआ।  पति गाय-बकरी चराने जाते थे। रुंधे हुए स्वर में अपनी आपबीती सुनाते हुए उनकी आंखें नम हो गई।गरीबी ने उनका पीछा नहीं छोड़ा. वह कहती है कि,मायके में परेशानी थीं और मैंने सोचा कि ससुराल आकर अच्छे से रहूंगी. बासी पेज पीकर दिन गुजारना पड़ा।  असल मे इन परिस्थितियों के कारण ही मैं आज एक सशक्त महिला बन सकी हूं।

शराबबंदी की अलख
जिस परिवार का मुखिया शराबी हो उस परिवार का दर्द क्या हो सकता है?  एक सामान्य परिवार में पहले से ही पैसों की कमी होती है और ऊपर से शराब जैसी समस्या.  आज भी नशे की हालत में महिलाओं पर अत्याचार किया जाता है।  शराबबंदी के लिए मैंने अपना अभियान घर से शुरू किया और फिर एक ऐसी क्रांति की शुरुआत हुई, जिसमें 8 लाख महिलाएं ज्वाला बनकर अपनी दबी हुई आवाज को मुखर होकर उठाने लगीं।  हमें धमकी दी गई लेकिन हमने हार नहीं मानी.

नवाचार करने वाले कलेक्टर का साथ
कम पढ़ी-लिखी सशक्त महिला फुलबासन बाई यादव के काम की चर्चा पूरे शहर में होने लगी. विपरीत परिस्थिति में फूलबासन बाई ने गरीबी, कुपोषण और बाल विवाह से लड़ने का संकल्प लिया. साल 2001 में उन्होंने दो रुपये और दो मुट्ठी चावल से 11 महिलाओं के साथ महिला समूह का काम शुरू किया. उन्हें समाजिक विरोध भी झेलना पड़ा, लेकिन अपने मजबूत हौसले से उन्होंने सभी को मात दे दी और फिर बम्लेश्वरी जनहितकारी स्व सहायता समूह का गठन हुआ.  तत्कालीन कलेक्टर दिनेश श्रीवास्तव ने इस अभियान को अपना समर्थन दिया .  आईएएस दिनेश श्रीवास्तव की दूरदर्शी सोच और नवाचार के कारण इस अभियान को गति मिली।

पद्मश्री से सम्मानित
भारत सरकार ने फूलबासन बाई को 2012 में पद्मश्री से सम्मानित किया था. छत्तीसगढ़ सरकार ने जननी सुरक्षा योजना नामक प्रसूति कार्यक्रम के लिए उन्हें अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया था. इसके अलावा कई और प्रतिष्ठित पुरस्कार से उन्हें  नवाजा जा चुका है.

लड़कियों और महिलाओं को कराटे की ट्रेनिंग
शिक्षा, स्वास्थ्य के लिए भी फूलबासन बाई का समूह काम कर रहा है.  सत्यदर्शन लाइव  से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि उनका संगठन छ्त्तीसगढ़ राज्य के अगल-अलग जिलों में लड़कियों को कराटे की ट्रेनिंग देने का काम कर रहा है. ताकी लड़कियां किसी भी स्थिति से खुद निपटने में सक्षम रहें.

अमिताभ बच्चन को बताया जीवन का संघर्ष
पद्म श्री फूलबासन यादव ने अमिताभ बच्चन को अपने जीवन से जुड़ी कई संघर्ष की कहानियां सुनाईं. उन्होंने बताया कि बचपन में वो पढ़ना चाहती थीं, लेकिन गरीबी के कारण उनके माता-पिता उन्हें पढ़ा नहीं सके. गरीबी और लड़की होने के कारण वे अपनी पढ़ाई पूरी न कर सकीं. इसके बाद फूलबासन यादव ने ठान ली की वे अपने जीवन में कुछ कर दिखाएंगी. उनके द्वारा कौन बनेगा करोड़पति कर्मवीर एपिसोड में जीते गए 50 लाख का उपयोग महिलाओं के उत्थान के लिए किया गया है।

दिव्य तपश्विनी और मोर बाजार अभियान
अपनी मेहनत और लगन से पदम् श्री फूलबासन यादव आज डेयरी, बकरी पालन,मछली पालन, गांव वाली हल्दी धनिया मिर्ची, और प्रोड्यूसर कम्पनी चला रही हैं और लाखों महिलाओं को रोजगार दे रही हैं. इसके साथ ही वे नशामुक्ति और खुले में शौच को लेकर भी अभियान चलाती हैं. मोर बाजार के माध्यम से पूरे भारत की महिला उद्यमियों को स्वावलंबन की राह दिखा रही है।

फुलबासन दीदी अपने काम से सफलता की नई इबारत लिख रही है।  वह समाज की अंतिम पंक्ति में खड़ी महिलाओं के लिए आशा की किरण बनकर कुछ करने का जज्बा दे रही हैं।  सत्यदर्शन लाइव पदम श्री फुलबासन यादव के आर्थिक सशक्तिकरण के अभियान से जुड़ने की अपील करता है।

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