विश्व की सबसे कम उम्र की दिव्यांग पर्वतारोही चंचल सोनी…14 साल की उम्र में ही एक पैर से वैशाखी के सहारे एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक 5364 मीटर बड़े आसानी से फतह की है…अब मैं अपने सपनों की उड़ान भर रही हूं और उम्मीद करती हूं कि मेरे बाद और लड़कियां आगे बढ़ें…चंचल

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कमलेश यादव: छत्तीसगढ़ की बिटिया चंचल सोनी 14 साल की उम्र में ही एक पैर से वैशाखी के सहारे एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक 5364 मीटर बड़े आसानी से फतह की है।यह कीर्तिमान रचने वाली विश्व की सबसे कम उम्र की amputee climber बन गई है।बिटिया चंचल की एक पैर घुटने के ऊपर से नही है।वह कहती है कि,मैं अंदर ही अंदर घुटती। फिर धीरे-धीरे मैंने खुद को संभाला। मन को मजबूत किया और तय कर लिया कि अपाहिज की जिंदगी मुझे नहीं गुजारनी। भले पैरों ने काम करना बंद कर दिया था, पर हौसले से खुद को अपने पैरों पर खड़ा किया।

जिंदगी की अपनी राह होती है। उसके बनाए रास्ते पर हम सभी चलते हैं। पर एक समय ऐसा भी आता है जब लगता है कि जिंदगी को हम अपनी राह पर ले चलेंगे।ऊंचे पहाड़ों की शिखर पर चढ़ना सपना था ।पापा स्व.संजय सोनी कहते, “बेटा,मन लगाकर पढ़ाई करना।पापा की मैं लाडली थी। वो जो कुछ कहते,उसे मानती। खूब पढ़ती।अभी एक्ज़ेक्ट फाउंडेशन दिव्यांग आवासीय प्रशिक्षण केंद्र,रुद्री धमतरी में 9वी क्लास में पढ़ रही हूं।

मेरी माँ मंजू सोनी जीवकोपार्जन के लिए दूसरों के यहां खाना बनाने के लिए जाती है।घर की आर्थिक स्थिति ठीक नही है।3 से 4 हजार आमदनी में ही हम गुजारा कर लेते है।लेकिन हमने कभी किसी के सामने हाथ नही फैलाया।खुद पर और ईश्वर के ऊपर भरपूर विश्वास है।मैं कहना चाहती हूं कि संघर्ष से कभी मुंह नहीं मोड़ें। सामान्य दिनों की तरह मुश्किल वक्त भी कट जाता है। खुद पर भरोसा रखें।

पर्वतारोही चित्रसेन साहू ने दिया संबल
मुश्किल वक्त में चित्रसेन साहू सर ने हमेशा संबल दिया। उन्होंने ही मेरे सपनों को पंख दिए है।वे मुझे बार-बार यह विश्वास दिलाया कि तुम्हारे सपने मरे नहीं हैं।तुम वो सब कर सकती हो जो तुमने सोचा है। इस तरह मेरा हौसला बढ़ा।चित्रसेन ने उन्हें व्हीलचेयर बास्केटबॉल की ट्रेनिंग देकर छत्तीसगढ़ राज्य की ओर से प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया।वर्ष 2019 मोहाली में आयोजित सीनियर राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेकर देश की सबसे कम उम्र की राष्ट्रीय खिलाड़ी बनी।उसके पश्चात विगत एक वर्ष से लंबी दूरी तक चलने एवम जंगल/पहाड़ो में ट्रैकिंग की अभ्यास कर रही थी।इनका प्रथम लक्ष्य माउंट किलिमंजारो जो अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी है फतह करना था किंतु कोविड और स्पॉन्सरशिप के अभाव में मिशन में नही जा सके।वर्तमान में चित्रसेन साहू द्वारा एक विविध और समावेशी समूह को मिशन इंक्लूजन के तहत एवरेस्ट बेस कैंप ले जाने की योजना बनी जिसमे चंचल की मेहनत को देखते हुआ जगह दिया गया।

चंचल सोनी कहती हैं कि अब मैं अपने सपनों की उड़ान भर रही हूं और उम्मीद करती हूं कि मेरे बाद और लड़कियां आगे बढ़ें।चंचल को डांस में विशेष रुचि है एवम एक पैर से ही डांस करती है तथा शासन की विभिन्न आयोजनों में भाग ले चुकी है।चंचल ने राजिम कुंभ मेला में 3 साल पहले भाग लिया था जिसके बाद उनका वीडियो हर जगह वायरल हुआ।

अक्सर हम अपने अंदर की आवाज को मार देते हैं। परिस्थितियों के आगे घुटने टेक देते हैं। अनुकूल स्थितियां न हों तो हम विकल्प ढूंढने लग जाते हैं और जो मिले उसी से खुश हो जाते हैं, पर किसी चीज को पाने का अगर जूनून बना रहे और उसे करने की चाह बरकरार रहे तो किसी भी फील्ड, उम्र और हालात में अपनी मंजिल को पाया जा सकता है। जीवन के तमाम उतार-चढ़ावों के बीच खुद को खोने नहीं देना चाहिए।सत्यदर्शन लाइव बिटिया चंचल सोनी की उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है।

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