आवश्यकता आविष्कार की जननी है…बिजली की समस्या के चलते खुद ही बना डाली बिजली

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‘कभी भी हौसला मत खोना ऐ मुसाफिर चलने वाले, क्या पता मंजिल तेरा नहीं तेरे हौसले का इम्तिहान ले रही हो।” कुछ ऐसे ही बुलंद हौसले है इस युवा के,जिसने आठ साल पहले शुरू किए अपने काम को तब ही बंद किया जब उसमें सफलता हासिल कर ली।झारखंड के रामगढ़ क्षेत्र के अंर्तगत आने वाले वियंग गांव के रहने वाले केदार प्रसाद महतो ने महज बारहवीं तक की पढ़ाई करके बिजली बनाने की एक ऐसी तरकीब निकाल दी है जिसे देखने के बाद हर कोई उनकी प्रशंसा कर रहा है।

बिजली की समस्या के चलते खुद ही बना डाली बिजली
केदार प्रसाद महतो का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। बचपन ग्रामीण इलाके में गुजरा था जिस कारण सभी चीजों की जमीनी स्तर से जानकारी थी। उन दिनों इलाके में अक्सर बिजली की समस्या बनी रहती थी। बचपन में लाइट की समस्या से परेशान होने के बाद उन्होंने खुद ही बिजली बनाने का दृढ़-निश्चय किया और बड़े होकर उसे पूरा भी किया।

पेशे से हैं एक कुशल इलेक्ट्रिशियन
केदार पेशे से इलेक्ट्रिशियन हैं। उन्होंने 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद आसपास के इलाकों में वायरिंग आदि का काम शुरू कर दिया था। उन्हें वायरिंग का काम करने के लिए कई दिनों तक रांची में भी रहना पड़ा। लेकिन, उनके मन में बचपन का वो दर्द आज भी जिंदा था। उन्होंने बचपन में ही एक दिन पूरे गाँव को बिजली की समस्या से निजात दिलाने का सपना देखा था जिसे पूरा कर दिखाया।

एक इंटरव्यू में दौरान वह कहते हैं, “पूरी मेहनत और शिद्दत से किया गया काम, आपको एक दिन सफलता जरूर दिलाता है। मैंने अपनी इस सफलता से पहले कई सारे छोटे-बड़े काम किए। मुझे वायरिंग और बिजली का काम करना अच्छे से आता है। बारहवीं के बाद से ही मैं वायरिंग का काम कर रहा हूँ।”

बचपन में मिल गई थी पहली सफलता
साल 2004 की बात है। तब केदार स्कूल में पढ़ रहे थे। उन दिनों ग्रामीण इलाका होने के कारण गाँव में बिजली की सप्लाई कम हुआ करती थी। इससे बात से परेशान होकर उन्होंने स्वयं बिजली बनाने का फैसला किया। तब उन्होंने नदी के पानी का प्रयोग करके 12 वोल्ट बिजली का सफल उत्पादन करके अपने पहले पड़ाव में सफलता हासिल कर ली थी। इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा।केदार के इस प्रोजेक्ट को तैयार करने में करीब आठ वर्षों के समय के साथ-साथ तीन लाख रुपए का खर्च भी हुआ है। इस खर्च में उनके दोस्तों ने उनका पूरा सपोर्ट किया है। इसके अलावा उन्होंने खुद की जमापूँजी भी लगाई है।

एक साक्षात्कार के समय उन्होंने बताया कि, “एक बार बिजली बनाने के प्रोजेक्ट में मिली सफलता ने मेरा हौसला बढ़ा दिया था। मैंने तभी से इसे एक प्रोजेक्ट के रूप में लिया और अपने गांव से लगभग एक किलोमीटर दूर सेनेगढ़ा नदी पर पहला प्रयोग किया। मैंने नदी के बीच में एक कंक्रीट का एक स्तंभ बनाकर उसमें आर्मेचर, चुंबक, कुंडल और अन्य भागों के साथ एक टरबाइन को जोड़ दिया। ये सारा सेटअप तैयार करने में कई सालों का समय लग गया, जिसमें लाखों रुपए का खर्च भी आया है।”

पॉवर मैन के नाम से बुलाते हैं लोग
केदार ने आज अपनी कड़ी मेहनत के दम पर यह सफलता हासिल की है। उनका सेटअप आज एक बार में 100 वाट के 40 से 45 बल्ब जला सकने में सक्षम है। उन्होंने अपने इस प्लांट के लिए टरबाइन, डायनेमो और जनरेटर भी खुद ही तैयार किए हैं। उनके इस काम के लिए गाँव के लोग उन्हें पॉवर मैन के नाम से बुलाने लगे हैं।

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