तमिलनाडु वेल्लोर के तिरुपत्तूर की रहने वाली स्नेहा भारत की ऐसी पहली महिला बन गई हैं, जिनकी ना तो कोई जाति है और ना ही धर्म. पहचान के लिए सिर्फ नाम ही काफी है. स्नेहा ने ‘No Caste, No Religion’ सर्टिफिकेट बनवाकर खुद को जाति, धर्म के बंधन से छुड़ा लिया है और अब अपने नाम के दम पर ही अपनी पहचान बना ली है. स्नेहा ने बीते 5 फरवरी को अपना ‘No Caste, No Religion’ सर्टिफिकेट बनवाते हुए खुद को जाति, धर्म से अलग-थलग कर लिया है. बता दें स्नेहा बचपन से ही किसी भी फॉर्म पर जाति और धर्म का कॉलम खाली ही छोड़ती आ रही हैं. उन्होंने बचपन से ही इस कॉलम को कभी नहीं भरा.
தமிழ்மகள் சிநேகாவிற்கு என் மனமார்ந்த வாழ்த்துக்கள். மதம் மாறுவதை விட மனம் மாறுவதே சிறப்பு. வா மகளே வா, புது யுகம் படைப்போம். சாதியற்ற உலகம் சாத்தியமில்லை என இனியும் அடம் பிடிப்போர்க்கும் இடம் ஒதுக்கீடு செய்வோம். மக்கள் நீதியே மய்யம் கொள்ளும். நாளை நமதே, நிச்சயம் நமதே! pic.twitter.com/w1a22F2GRh
— Kamal Haasan (@ikamalhaasan) February 13, 2019
स्नेहा के अलावा उनके माता-पिता भी हमेशा से ही यह कॉलम खाली छोड़ते रहे हैं. उन्होंने कभी स्नेहा पर ऐसा करने का दबाव नहीं बनाया, लेकिन माता-पिता के काम और उनके फैसले से प्रभावित स्नेहा ने भी अपने नाम के आगे कभी कोई सरनेम नहीं लिखा और न ही धर्म के कॉलम को भरा. स्नेहा का मानना है कि जाति-धर्म के बंधन से खुद को अलग करना समाज में परिवर्तन की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है. यही कारण है कि उनके प्रमाणपत्रों से लेकर जन्म प्रमाण पत्र तक में जाति और धर्म के सभी कॉलम खाली ही रहे हैं.
स्नेहा ने बताया कि ‘मेरे जन्म प्रमाणपत्र से लेकर स्कूली शिक्षा और दूसरे प्रमाणपत्रों में कहीं भी धर्म या जाति का कॉलम खाली ही रहा है. इन सभी फॉर्म में मैं सिर्फ भारतीय हूं. ऐसे में मुझे कुछ दिनों पहले महसूस हुआ कि एप्लिकेशन में सामुदायिक प्रमाण पत्र अनिवार्य था, इसीलिए मैंने आत्म-शपथ पत्र भरा और कागजों में भी साबित कर दिया कि मैं किसी जाति या धर्म से नहीं जुड़ी हूं, बल्कि मैं सिर्फ भारतीय हूं. मेरा मानना है कि जब जाति और धर्म मानने वालों के लिए प्रमाणपत्र हो सकते हैं तो हमारे लिए भी होना चाहिए.’
स्नेहा के मुताबिक उन्होंने 2010 में ‘No Caste, No Religion’ के लिए फॉर्म भरा था, जिसके बाद काफी मुश्किलों का सामना करने पर उन्हें 5 फरवरी 2019 को यह सर्टिफिकेट मिला. ऐसे में स्नेहा भारत की ऐसी पहली महिला बन गई हैं जो जाति, धर्म से परे बस भारतीय नागरिक हैं. वहीं सोशल मीडिया पर स्नेहा के इस कदम की काफी तारीफ हो रही है. जिसने भी स्नेहा के इस फैसले के बारे में सुना उन्हें बधाइयां दे रहे हैं.