आपने कपड़ों पर कढ़ाई करते हुए लोगों को देखा होगा, लेकिन क्या आपने किसी को पत्तों पर कढ़ाई करते देखा है? शायद नहीं।नवाचारी युवक सौरभ देवढ़े ने इसकी पहल की है। वे पिछले दो साल से पेड़ के सूखे पत्तों पर हाथ से कढ़ाई कर रहे हैं और होम डेकोरेशन के आइटम्स तैयार कर रहे हैं। देशभर में उनके हुनर की डिमांड भी है। वे सोशल मीडिया के जरिए अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रहे हैं। इससे हर महीने 80 हजार रुपए से ज्यादा उनकी कमाई हो रही है।
माता-पिता चाहते थे बेटा डॉक्टर या इंजीनियर बने,21 साल के सौरभ किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। सौरभ के मां-बाप चाहते थे कि उनका बेटा डॉक्टर या इंजीनियर बने, लेकिन बचपन से ही सौरभ को कढ़ाई-बुनाई का शौक था। इसलिए उन्होंने आर्ट के फील्ड में ही आगे बढ़ने का फैसला लिया। इसके बाद उन्होंने फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई करने का प्लान किया। हालांकि घर वाले इसके लिए राजी नहीं थे। उनका मानना था कि कढ़ाई-बुनाई का काम लड़कियों का है, इसमें करियर नहीं है। जैसे-तैसे करके सौरभ ने उन्हें मनाया और पुणे के एक कॉलेज में दाखिला ले लिया।
सौरभ पिछले दो साल से कढ़ाई का काम कर रहे हैं। वे हर तरह की कशीदाकारी का काम कर लेते हैं।हालांकि सौरभ यहां ज्यादा दिन तक पढ़ाई नहीं कर सके। उनके मुताबिक कॉलेज में क्रिएटिविटी को लेकर खास ध्यान नहीं दिया जा रहा था। इसलिए उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया और फिर दूसरे संस्थान में दाखिला लिया। यहां उनका मन रम गया और पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने कशीदाकारी भी सीख ली। सौरभ कहते हैं कि तब मेरे एक दोस्त ने सुझाव दिया कि हमें पढ़ाई के साथ ही खुद का कुछ करने का भी प्लान करना चाहिए। ताकि हम कुछ कमाई कर सकें। मुझे उसका आइडिया पसंद आया। हालांकि तब वे यह तय नहीं कर पा रहे थे कि किस तरह का काम शुरू किया जाए और कैसे किया जाए?
मां से 1500 रुपए लेकर शुरू किया काम इसी बीच उनके एक सीनियर अहमदाबाद में डिजाइनिंग से जुड़ा स्टॉल लगा रहे थे, तो सौरभ ने उनसे उन्हीं के स्टॉल में छोटी सी जगह खुद के लिए भी ले ली। अपनी मां से 1500 रुपए लिए। कशीदाकारी के लिए सुई, धागा, सूती कपड़ा और हुप खरीदे। उसकी मदद से कान के झुमके, गले का पेंडेंट और घर में सजाने वाले हुप्स तैयार किए। महज दो दिन में ही सौरभ के सारे प्रोडक्ट्स बिक गए। इन प्रोडक्ट्स को बेचकर सौरभ ने 3500 रुपए की कमाई की।
सौरभ के आर्ट वर्क को लोग पसंद भी कर रहे हैं। उन्हें देशभर से हर महीने 25-40 ऑर्डर मिल रहे हैं।इस मुनाफे के बाद सौरभ ने अपनी इस कला को और लोगों तक पहुंचाने का इरादा किया। पढ़ाई के दौरान ही सौरभ ने सोशल मीडिया पर एक पेज बनाया और अपने प्रोडक्ट्स के फोटो उस पर अपलोड करने लगे।
हालांकि सौरभ को पत्तों पर कशीदाकारी करने का ख्याल तब आया जब वे लॉकडाउन के दौरान अपने गांव आए थे। उस वक्त सौरभ को क्वारैंटाइन सेंटर में रखा गया था। उनके पास खाली समय में करने के लिए कुछ नहीं था। तब उन्होंने कपड़े पर ही कशीदाकारी करने का सोचा, लेकिन सौरभ के पास सिर्फ सुई और धागा था। कोई कपड़ा नहीं था जिस पर वे कढ़ाई कर सकें। फिर वे टहलने के लिए बाहर निकले तो उनका ध्यान बरगद के पेड़ के पास बिखरे पत्तों पर गया और तभी उनके दिमाग में ये आइडिया आया कि इस पर भी कुछ कलाकारी की जा सकती है। सौरभ ने कुछ सूखे पत्ते जुटाए और काम करना शुरू कर दिया। जल्द ही वे खूबसूरत डिजाइन बनाने लगे।
नौकरी लगी, लेकिन काम में ज्यादा दिनों तक मन नहीं लगा
सौरभ कहते हैं कि जब मैंने पत्तों पर बनाए आर्ट की फोटोज सोशल मीडिया पर अपलोड करना शुरू किया तो लोगों का अच्छा रिस्पॉन्स मिला। लोगों को यह क्रिएटिविटी यूनीक लगी। जल्द ही लोगों की तरफ से डिमांड आने लगी। पहले जहां मैं महज हर महीने 7 से 8 हजार रुपए ही कमा पाता था, इससे अच्छी खासी कमाई होने लगी। इसी बीच सौरभ की पढ़ाई पूरी हो गई और उनकी नौकरी भी लग गई। यहां सैलरी अच्छी थी, लेकिन सौरभ का मन नहीं लगा। कुछ दिन तक नौकरी करने के बाद उन्होंने रिजाइन कर दिया और पुणे लौट आए।
पुणे आकर सौरभ ने अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने का प्लान किया। उनके साथ उनकी बहन प्राजक्ता और भाई अनिकेत भी जुड़ गए। सौरभ को महीने में 25 से 40 ऑर्डर्स मिलने लगे। इससे फिर से उनका काम चल गया। वे बताते हैं कि उनके प्रोडक्ट्स की शुरुआत 400 रुपए से होती है। वे कपड़े पर पेंटिंग, कढ़ाई, बुनाई करने के साथ-साथ पत्ते पर भी अपनी कलाकारी बिखेरते हैं। सौरभ फिलहाल असम, महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, गुजरात सहित देशभर में अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रहे हैं।
सौरभ को वर्कशॉप्स से अच्छा रिस्पॉन्स मिलता है। अब तक वे 20 लोगों को वर्कशॉप में ट्रेनिंग दे चुके हैं।इतना ही नहीं कई बॉलीवुड के कलाकार भी उनकी कारीगरी के फैन हैं। इनमें मशहूर अभिनेत्री तापसी पन्नू का नाम भी शामिल है। उन्होंने तापसी के लिए एक खास हुप और ईयररिंग भेजे थे और तापसी ने इसको लेकर अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट भी की थी। सौरभ के काम का दायरा हर दिन बढ़ता जा रहा है। पिछले ही महीने उन्हें 86 हजार रुपए की कमाई हुई है। सौरभ ने कई वर्कशॉप्स भी किए हैं। वर्कशॉप्स से उन्हें बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिलता है। अब तक वे लगभग 20 लोगों को दो वर्कशॉप में अपने आर्ट की ट्रेनिंग दे चुके हैं। सौरभ कहते हैं कि वे अपने इस काम को बड़े स्तर पर ले जाना चाहते हैं।