कमलेश यादव:हमारे स्वास्थ्य का खजाना किचन में है यकीन मानिए जिन्होंने किचन की कला सीख ली उन्हें अपने परिवार के स्वास्थ्य की चिंता नही होगी।इंग्लिश में “किचन” हिंदी में “रसोई” और छत्तीसगढ़ी में “रंधनी खोली”कहा जाता है।दरअसल हमारे जीवन की हरेक गतिविधि मूलतः खान पान के ऊपर निर्भर करती है।आधुनिकता की होड़ ने हमारे भोजन को भी प्रभावित किया है।सफलता का सीधा सम्बन्ध हमारे भोजन से जुड़ा हुआ है।पहले लोग प्राकृतिक तरीके से जीवन जीते थे इसीलिए दीर्घायु और शक्तिशाली होते थे।शरीर और मन को स्वस्थ रखने के लिए आइये जानते है कुछ पुरानी बातें जिसे ज्यादातर लोग भूल गए है।व्यस्त जीवनशैली बताते हुए हम बाजार के ऊपर ही निर्भर हो गए है।ऐसे कई चीजें है जिसका निर्माण घर मे ही किया जा सकता है।सामान्यतः गांव में रखिया का उपयोग बड़ी बनाने के लिए महिलाएं करती है।परिवार मिल कर रखिया के बड़ी बना कर घूप में सुखा कर, साल भर सब्जी के तौर पर उपयोग करते हैं।रखिया बड़ी को व्यवसायिक रूप देकर आर्थिक समृद्धि बढ़ाया जा सकता है।
रखिया बड़ी स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभप्रद है यह पेट मे एसिड को कम करता है व अल्सर या जलन में आराम पहुँचाता है।ब्रेन में तनाव होता है,यह उस तनाव को घटाता है,और होने वाले तनाव पर नियंत्रण रखता है।इसमें पोटेशियम की मात्रा अधिक होती है, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद करती है।प्रचुर मात्रा में पानी होता है ९६%। यह अधिक कैलोरी युक्त खाद्य पदार्थ का बेहतर विकल्प है, जो वजन नियंत्रित रखने में मदद करता है।
पहले रखिया को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लेते है।फ़िर लोहे की करनी पर एक सिरे से दूसरे सिरे तक खींचा जाता है, जिससे वह करली की तरह निकलते हैं और उसी से बड़ी बनाते हैं। करनी पर घिसे हुए रखिया को एक टोकरी पर डाल देते हैं, जिससे उस का पानी बाहर निकल जाए। उसके बाद उस में दाल को मिलाया जाता है।
दाल को मिलाने के लिए सबसे पहले रात में उड़द दाल को भिगा देते हैं, फिर सुबह उसे अच्छी तरह से धो लेते हैं जब तक कि उसके ऊपर का छिलका बाहर न निकल जाए। छिलका बाहर निकालने के बाद उसे पीसा जाता है। दाल को पीसने के लिए सील की या मशीन की जरूरत होती है।पहले प्राचीन के लोग पीसने के लिए पत्थर का उपयोग करते थे जिसे आज भी दाल पीसने के लिए उपयोग में लाया जाता है। लेकिन ज्यादातर अब मशीन का प्रयोग करते हैं। उड़द दाल को पीसने के बाद सफेद कद्दू के करी में मिलाते हैं। उस करी और दाल को अच्छी तरह से फेट लेते है।
प्रचुर मात्रा में धनिया भी डाल सकते हैं। फिर बर्तन या कपड़े मे हाथों से गोल गोल करके बनाया जाता है। उसको छोटे या बड़े आकार में भी बना सकते हैं। फिर उसे धूप में सुखाया जाता है। यह जो बड़ी होता है वह २ या ३ दिनों में सूख जाती है, फिर इसका उपयोग कर सकते हैं।रखिया की जो बड़ी होता है, वह प्रसव हुई महिलाओं के लिए ज्यादा फायदेमंद होती है। उस बड़ी का सब्जी बनाकर महिलाओं को खिलाया जाता है जिससे कमजोरी दूर होती है और शरीर मे गर्मी पैदा करती है
यह बात तो समझ आ गई हमारी रसोई में स्वास्थ्य के लिए ढ़ेरो खजाने है।सफलता के लिए अच्छी और प्राकृतिक भोजन पोषण के लिए अति आवश्यक है।ऐसे सैकड़ो खाद्य पदार्थ है जिन्हें हम सालभर के लिए संरक्षित रख सकते है।आज भी गांव की ओर रुख करने से वह सब कुछ मिलेगा जो शहरी जीवनशैली से विलुप्त होते जा रहे है।बात अगर सफलता की हो तो खान पान में विशेष ध्यान देने की जरूरत है।