संस्कृति के संरक्षण के लिए अनोखी मुहिम शुरू करने वाली शख्सियत शान्ता शर्मा…आभूषणों को भेंट देने की परंपरा शुरू की है ताकि संस्कृति का महत्व बरकरार रहे

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रायपुर:सुंदर आभूषण हमारी संस्कृति की पहचान है वर्तमान में आधुनिकीकरण के प्रभाव में यह धीरे धीरे विलुप्त होते जा रहे है। यदि समय रहते इन्हें संरक्षित नही किया गया वह दिन दूर नही जब हम इसे किसी संग्रहालय में खोजते मिलेंगे।आज हम ऐसे शख्सियत से रूबरू होंगे जिन्होंने विलुप्त होते आभूषणो के वैज्ञानिक महत्व के बारे में लोगो को समझा रही है।गहनों को भेंट देने की अनोखी परंपरा शुरू की है ताकि संस्कृति का महत्व बरकरार रहे।घने जंगलों और प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध छत्तीसगढ़ राज्य में भिलाई की रहने वाली सुश्री शान्ता शर्मा की कहानी किसी प्रेरणा से कम नही है।

छत्तीसगढ़ की विलुप्त होती संस्कृति को सहेजने की जरूरत है।शान्ता शर्मा जी कहती है कि आज भी मुझे वह दिन याद है जब नवरात्रि में छत्तीसगढ़ी परम्परीक सुवा नृत्य करने की मुहिम शुरू की थी।जब महिलाएं सुआ नृत्य कर रहि थी किन्तु छत्तीसगढ़ की पारम्परिक गणवेश में नहीं थी। श्रृंगार के बगैर अधूरा लग रहा था उस दिन से एक आईडिया सुझा क्यो न गहना भेट करने की संस्कृति चलन में लाया जाय।शान्ता शर्मा जी काफी सारे महिलाओं को विभिन्न पारम्परिक गहना भेंट कर चुकी है।

शान्ता शर्मा बताती है कि बस्तर और सरगुजा सम्भाग की महिलाओं के साथ ही लोक कलाकार तक यह आभूषण सीमित हो गया है।छत्तीसगढ़ के लोक कलाकार केवल मंच तक ही इन गहनों का इस्तेमाल करते है।पहले घर की महिलाएं गहनों से सुसज्जित रहती थी इसके पीछे वैज्ञानिक तथ्य भी है इन गहनों से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होते रहता था।माथे में बिंदिया हस्थी सुरा नागमोरी बहुटा, करधन पायल पैजन तोड़ा,लच्छा कटहि तोडा, कोयरी बिझिया,बिझिया,चुटकी इत्यादि शोभा बढ़ाती थी।यह गहना विभिन्न प्रकार के रोगों से भी बचाती है।

पीड़ित बच्चों की मदद
शान्ता शर्मा जी नक्सल प्रभावित बच्चो की मदद के लिए मुहिम शुरू की है जिसका ध्येय वाक्य है “न मन्दिर बना,न मस्जिद बना तु कोशिश बस इतनी कर किसी एक की जिंदगी बना”।बच्चो को आत्मनिर्भर बनाने में जो शुकुन और खुशी मिलता है उसे शब्दो मे बयां करना मुश्किल है।इसी वजह से अपने नाम के बाद शान्ता छत्तीसगढ़ जोड़ ली है।

पूर्ण छत्तीसगढ़ी अपनावो की थीम लिये।पहनो तो छत्तीसगढ़ी ,खावो तो छत्तीसगढ़िया, बोलो तो छत्तीसगढ़ी, पढो लिखो तो छत्तीसगढ़ी के साथ 3 सम्भाग की यात्रा कर चुकी है।नशा मुक्ति,आर्थिक स्वावलम्बन जैसे तमाम मुद्दों के ऊपर लोगो को प्रेरित कर रही है।शान्ता शर्मा समाज के हरेक वर्गों की मदद के लिए तत्पर रहती है।उनके किये हुए कार्यो की सूची काफी लंबी है जिसे शब्दो मे पिरो पाना मुश्किल है।छत्तीसगढ़ की संस्कृति और जरूरतमंद लोगों के लिए शान्ता शर्मा ने बेहतरीन कार्य किये है जिसके लिए आने वाली पीढियां सदैव ऋणी रहेगी सत्यदर्शन लाइव चैनल इस जज्बे को सलाम करता है।

आवश्यक जानकारियां
(1)बन्दन,सिंदूर तनाव को कम करते है माग मोति,सुंगी
(2)माथे पर बिंदी तीसरा नेत्र कहा गया है जो ध्यान को एकत्रित करती है।
(3)कान में खुटी,तरकी ,तितरी,जिस दिन से इसको पहनते है निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाती है पुराने जमाने मे लड़को के कान को छेद कर दिया जाता था।
(4)गले मे कटली मोहर,सुता,हस्ली,सुरा,नव लरीया, डोलकी,ताबिज गले को मजबूत बनाते है
(5)हाथ और भुजा की मजबूती के लिए नागमोरी बहुटा पहुची पहना जाता है।
(6)आईठी चुरिअ,पट्टा ककनी,कलाई की मजबूती को बढ़ाता है।
(7)अंगूठी हिस्टीरिया रोग से बचाव में सहायक है।
(8)करधन से कमर दर्द की समस्या से बचा जा सकता है
(9)पैरों में पायल साटि,पैरी लच्धा पैर को मजबुती देते है

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