कमलेश यादव,रायपुर:-पूरे भारत के लिए वह दिन ऐतिहासिक होने वाला है,जब छत्तीसगढ़ के युवा पर्वतारोही चित्रसेन साहू यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रुस (रुस) को फतह करेंगे।यकीनन करोड़ो भारतीयों की निगाहें चित्रसेन के ऊपर टिकी हुई है। इस पर्वत की ऊंचाई 5642 मीटर (18510 feet) है ,ज्ञात हो कि यह पर्वत फतह करने वाले देश के प्रथम डबल अम्पुटी पर्वतारोही (दोनो पैर कृत्रिम) होंगे।पूरी दुनिया को पर्वत से ही देंगे मिशन इंक्लूसन और प्लास्टिक फ्री का संदेश।छत्तीसगढ़ राज्य के ‘ब्लेड रनर हाफ ह्यूमन रोबो ‘के नाम से जाने जाते है चित्रसेन साहू।
मिशन इंक्लूसन “अपने पैरों पर खड़े हैं”
यूरोप महाद्वीप के रूस में स्थित माउंट एलब्रुस के सफर में चित्रसेन रायपुर से 17/08/21 को प्रस्थान करेंगे।Estimated Summit 24-08-21 को होगा।गौरतलब है कि पूर्व में चित्रसेन साहू ने माउंट किलिमंजारो और माउंट कोजीअस्को फतह कर नेशनल रिकॉर्ड कायम किया था। माउंट किलिमंजारो अफ्रीका महाद्वीप एवम माउंट कोजिअसको ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप की सबसे ऊंची पर्वत है।चित्रसेन यह उपलब्धि हासिल करने वाले देश के प्रथम डबल एंप्यूटी है।
लक्ष्य की ओर
चित्रसेन साहू ने बताया कि दोनों पैर कृत्रिम होने की वजह से पर्वतारोहण में बहुत कठिनाइयां आती है और यह अपने आप बहुत बड़ा चैलेंज है,जिसको उन्होंने स्वीकार किया है और इनका लक्ष्य है सात महाद्वीप के साथ शिखर फतह करना है।जिसमे से 2 लक्ष्य उन्होंने फतह कर लिया है तथा एलबुस के साथ तीसरा लक्ष्य भी हासिल कर लेंगे । हालाकि -15 से – 25 तापमान के साथ पर्वतारोहण करना और हवाई तूफान इस अभियान की कठिनाई बड़ा सकती है पर हमने अपनी तैयारी पूरी रखी है और पूरी उम्मीद है कि लक्ष्य फतह कर लेंगे ।
NACHA का मिला साथ
इस पर्वतारोहण अभियान को expedition partner नाचा (नॉर्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन),छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल, Augtech nextwealth एवम् सोशल initiative partner सुमित फाउंडेशन (जीवनदीप ) राजेंद्र किशनलाल फाउंडेशन के सहयोग से किया जा रहा है।इसके लिए चित्रसेन सभी का आभार व्यक्त किये हैं।
पूर्व की पर्वतारोहण मिशन की जानकारी
कैंपेन-अपने पैरों पर खड़े हैं ( मिशन इन्क्लूजन ) स्थान अफ्रीका महादवीप,देश तंजानिया पर्वत किलिमंजारो ऊंचाई 5685 मीटर Summit – 23-09-2019 और स्थान-ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप, देश-ऑस्ट्रेलिया पर्वत.माउंट कोजीअस्को ऊंचाई -2228 मीटर Summit 02-03-2020 ।अवगत हो कि चित्रसेन साहू पर्वतारोही होने के साथ -साथ राष्ट्रीय व्हीलचेयर बास्केटबॉल एवम् राष्ट्रीय पैरा स्विमिंग के खिलाड़ी,ब्लेड रनर हैं।उन्होंने विकलांगो के ड्राइविंग लाइसेंस के लिए भी बहुत लंबी लड़ाई लड़ी है और शासन की अन्य नीतियो को अनुकूल बनाने के लिए काम कर रहे हैं।साथ ही चित्रसेन साहू ने 14000 फीट से स्काई डाइविंग करने रिकॉर्ड बनाया है और सर्टिफाइड स्कूबा डायवर है।
मेरे लिए पर्वतारोहण का निर्णय आसान नहीं था क्योंकि भारत में अभी तक कोई भी डबल अंप्यूटी पर्वतारोही नहीं है जो पर्वतारोहण करता हो।सबके लिए स्वतंत्रता के मायने क्या है ??? वह बाहर घूमे फिरे कोई रोक – टोक ना हो , वह कहीं भी आ जा सके और मुझे घूमना और ट्रैकिंग बहुत पसंद था-चित्रसेन साहू
2014 में दुर्घटना के बाद मेरे मन में भी यही स्वतंत्रता का भाव था जो मुझे धीरे – धीरे पर्वतारोहण के क्षेत्र में ले गया। शुरुआत छोटे छोटे यात्रा से ट्रैकिंग में,ट्रेकिंग से माउंटेनियरिंग में तब्दील हुई।जब मैं छोटे -छोटे ट्रैकिंग में जाना शुरू किया तो आत्मविश्वास बढ़ता गया । कृत्रिम पैर होने से आपको एक सामान्य व्यक्ति से 65 % ज्यादा ताकत और ऊर्जा लगती है और माउंटेन में जब अधिक ऊंचाई पर होते हैं तो ऑक्सीजन लेवल भी कम होता है और आप बाकी लोग की तुलना में थोड़े धीरे होते हैं तो यह और मुश्किल हो जाता है ऊपर से वातावरण का शरीर पर प्रभाव करने का डर अधिक रहता है किंतु मनोबल ऊंचा रहे तो सब संभव है ।
मेरा दिल कही दूर पहाड़ो में खो गया
चित्रसेन साहू कहते है, कि जिंदगी पर्वत के समान है सुख दुख लगा रहता है उतार-चढ़ाव आते रहते हैं किंतु हमें इस एक सामान्य प्रक्रिया मानकर लगातार संघर्ष करना है और आगे बढ़ना है,हम यदि किसी भी समस्या को लेकर समाधान के बारे में एक सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़े तो निराकरण जरूर संभव है । चित्रसेन साहू ने बताया कि उन्होंने हमेशा से ही अपने लोगों के हक के लिए काम किया है ताकि उन लोगों के साथ भेदभाव ना हो।शरीर के किसी अंग का ना होना कोई शर्म की बात नहीं है ना ये हमारी सफलता के आड़े आता है बस जरूरत है तो अपने अंदर की झिझक को खत्म कर आगे आने की। हम किसी से कम नहीं ना ही हम अलग हैं तो बर्ताव में फर्क क्यों करना हमें दया की नहीं आप सबके साथ एक समान ज़िन्दगी जीने का हक चाहिए ।
वे बताते है कि, “अपने पैरों पर खड़े हैं ” मिशन इंक्लूसन के पीछे हमारा एक मात्र उद्देश्य है सशक्तिकरण और जागरुकता,जो लोग जन्म से या किसी दुर्घटना के बाद अपने किसी शरीर के हिस्से को गवां बैठते हैं उन्हें सामाजिक स्वीकृति दिलाना , ताकि उन्हें समानता प्राप्त हो ना किसी असमानता के शिकार हो तथा बाधारहित वातावरण निर्मित करना और चलन शक्ति को बढ़ाना।