जिस उम्र में बच्चे खुद पढ़ने से भागते हैं,उस उम्र में आकर्षणा कैंसर से पीड़ित बच्चों की जिंदगी को किताबों के जरिए संवारने की काम कर रही हैं

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“मोबाइल और लैपटॉप के इस युग में भले ही बच्चे किताबों से दूर होते जा रहे हों लेकिन आकर्षणा सतीश (नौ वर्षीय) समाज के लिए एक ऐसी मिसाल कायम कर रही हैं, जिसे लेकर आज वह पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। हैदराबाद की आकर्षणा, लगभग अपनी ही उम्र के कैंसर पीड़ित बच्चों के जीवन को किताबों के माध्यम से नई दिशा देने को लेकर काम कर रही हैं। कैंसर पीड़ित बच्चों के लिए नौ वर्षीय आकर्षणा, किताबें और कलर बुक एकत्रित कर रही हैं, ताकि इन किताबों की दुनिया में खोकर बच्चे, कैंसर के दर्द को कुछ पलों के लिए भूल जाएं।

आकर्षणा के इस प्रयास को देखते हुए पिछले दिनों हैदराबाद के कमिश्नर ऑफ पुलिस अंजनी कुमार ने शहर के एमएनजे कैंसर इंस्टीट्यूट में एकत्रित की गई 1,036 किताबों से एक पुस्तकालय की स्थापना करा दी है। अब कैंसर से पीड़ित बच्चे आसानी से यहां से किताबें लेकर पढ़ सकते हैं।”

आकर्षणा पिछले एक साल से अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के घर से किताबें और कलर बुक एकत्रित कर रही हैं। साल भर के भीतर उन्होंने तेलगू, अंग्रेजी और हिंदी की 1,036 किताबें इकट्ठी कर ली हैं। आकर्षणा की इस लगन को देखते हुए  कैंसर इंस्टीट्यूट ने अब इन किताबों को लेकर प्ले एरिया में पुस्तकालय का रूप दे दिया है। आकर्षणा कहती हैं, यह मेरा सपना था कि मैं कैंसर से पीड़ित बच्चों के लिए कुछ कर सकूं, मेरा सपना सच हो रहा है।

पुलिस कमिश्नर अंजनी कुमार ने इतनी कम उम्र में ही आकर्षणा की इस लगन को देखते हुए उन्हें मोमेंटो से सम्मानित किया है। आकर्षणा की यह लगन और सोच देश के तमाम बच्चों के लिए मिसाल है। जिस उम्र में बच्चे खुद पढ़ने से भागते हैं, उस उम्र में आकर्षणा कैंसर से पीड़ित बच्चों की जिंदगी को किताबों के जरिए संवारने की काम कर रही हैं।

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