कौन कहता है आसमां में सुराख हो नहीं सकता,एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो’…तृतीय लिंग समुदाय को अलग पहचान दिलाने वाली शख्सियत विद्या राजपूत..खुद पर हो विश्वास और मन में हो संकल्प फिर कितनी भी आ जायें बाधाएँ, मिल ही जाता है रास्ता

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अभिषेक यादव:कुदरत ने इस धरती पर सभी को जीवन जीने के समान अधिकार बगैर किसी भेदभाव के दिया है।कुदरत की बनाई हुई चीजों पर हँसना मतलब उस सृष्टि कर्ता के ऊपर हँसना जिसने पूरी दुनिया की रचना की है।मानव सभ्यता आधुनिक हो चुकी है लोग चांद और मंगल तक पहुंच गए है फिर भी आज हमारे समाज के अभिन्न अंग जो हमसे कभी जुदा ही नही है उन्हें तिरस्कार की भावना से समाज और परिवार देखता है।लोग उन्हें किन्नर,तृतीय लिंग और न जाने क्या क्या नाम से पुकारते है।सबकी पहचान होती है लेकिन उन्हें खुद की पहचान साबित करने के लिए जद्दोजहद करना पड़ता है।आज हम बात करेंगे ऐसी ही शख्सियत के विषय मे जिन्होंने संघर्ष की लंबी लड़ाई लड़ी है। ट्रान्सजेंडर अधिकार कार्यकर्ता व मितवा समिति की अध्यक्ष विद्या राजपूत के अथक प्रयास से छत्तीसगढ़ राज्य में 13 तृतीय लिंग पुलिस आरक्षक बनकर देश की सेवा करने के लिए संकल्पित है।

सांस्कृतिक विरासत और नैतिक मूल्यों वाले देश मे अब परिवर्तन की बयार दिखाई दे रही है।तृतीय लिंग को सामाजिक सम्मान के साथ जीने का अधिकार मिल रहा है।बहरहाल अभी बादल छटा नही है इस क्षेत्र में काफी कार्य करने होंगे।व्यापार,राजनीतिक और विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सफलता के नए कीर्तिमान रचने की योजनाओं में कार्य करने की जरूरत है।विद्या राजपूत का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार और गृह विभाग ने बहुत ही बढ़िया कार्य किये है इसके लिए दिल से धन्यवाद।आगे भी विभिन्न विभागों में समान अवसर उपलब्ध होंगे यही आशा है।

छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग के द्वारा तृतीय लिंग का कॉलम देने के कारण अभ्यर्थियों ने भर्ती पत्र दाखिल करने के बाद कड़ी मेहनत और लगन से पुलिस की बौद्धिक और शारीरिक परीक्षा पास की। पुलिस भर्ती परीक्षा के अंतिम परिणाम में राज्य भर से समुदाय के 13लोगों का चयन हुआ है। पुलिस भर्ती में शामिल प्रतिभागियों ने भारतवर्ष और विश्व को यह संदेश दिया है कि उन्हें अपने हुनर दिखाने का मौका मिले तो वे स्त्री-पुरुष से कंधा से कंधा मिलाकर चल सकते हैं और वे भी सम्मानपूर्ण जीवन के हकदार हैं। तृतीय लिंग व्यक्ति को समाज में कलंक माने जाने के कारण वे परिवार और समाज से बहिष्कृत ही रहे हैं। वे पूरी तरह से सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक जीवन में प्रतिभागी होने से वंचित रहे हैं

चयनित तृतीय लिंग प्रतिभागियों का नाम हैं, रायपुर से दीपिका यादव, श्री साहू, निशु क्षत्रिय, शिवन्या पटेल, नैना सोरी, सोनिया जंघेल, कृषि तांडी एवं सबुरी यादव, बिलासपुर से सुनील एवं रुचि यादव, धमतरी जिले से कोमल साहू, अंबिकापुर से अक्षरा, राजनांदगांव जिले से कामता, नेहा एवं डोली का चयन हुआ है।

विद्या राजपूत कहती है खुशहाल बचपन, एक शानदार करियर, और अपने प्रियजनों के साथ गुणवत्तापूर्ण जीवन ऐसी चीजें हैं जो किसी के जीवन में खुशियों को बढ़ा सकती है, लेकिन इसी दुनिया में रहने वाले अन्य लोगों की समस्याओं का क्या? तृतीय लिंग समुदाय ने अपनी मेहनत के दम पर नए कीर्तिमान रचना शुरू कर दिए है।निश्चित ही विद्या राजपूत के दृढ़ इच्छाशक्ति के बदौलत यह सब मुमकिन हो पाया है।चुनौतियों का मुकाबला कर कामयाबी की अनोखी कहानी लिखने वाली विद्या राजपूत को सत्यदर्शन लाइव चैनल का सलाम।

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