मेरा दिल कहीं दूर पहाड़ों में खो गया…डॉक्टर गिरीश सिंह क्षत्रिय की प्रेरणादायक कहानी…यूट्यूब के माध्यम से छत्तीसगढ़ पर्यटन को पूरी दुनियां के सामने रखा

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कमलेश यादव:मेरा दिल कहीं दूर पहाड़ों में खो गया…यह पंक्तियां छत्तीसगढ़ रायपुर एम्स में पदस्थ डॉक्टर गिरीश सिंह क्षत्रिय पर बिल्कुल सटीक बैठती है।यूट्यूब वीडियो के माध्यम से छत्तीसगढ़ पर्यटन को बढ़ावा देने की कहानी किसी प्रेरणा से कम नही है।छत्तीसगढ़ प्राकृतिक सौंदर्य,विविधतापूर्ण संस्कृति,अनूठी परंपराओं और सुरम्य पहाडियों के लिए जाना जाता है।छत्तीसगढ़ की भूमि में रहने वाले लोग भी सीधे और सरल स्वभाव के है। संतो और ऋषियों की वाणी भी यहां के वातावरण में आज भी गुंजयमान होती है।डॉक्टर को धरती के भगवान ऐसे ही नही कहा जाता,मरीजों के इलाज के साथ ही उन्हें प्रकृति के करीब जाने की प्रेरणा देना निश्चित ही प्रेरणादायक है।आइये जानते है डॉक्टर गिरीश सिंह क्षत्रिय की जीवन यात्रा के बारे में उन्ही की जुबानी।

सपनों का शहर मुंगेली में 14 जून 1988 को जन्म हुआ।बचपन से ही मुझे सेवा कार्य मे बहुत रुचि था परिणाम चिकित्सक के रूप में आप सभी के सामने हूं।मैंने बस्तर में शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय जगदलपुर से MBBS की पढ़ाई पूरी की है,वर्तमान में एम्स रायपुर में  M.D. कर रहा हूँ।पिताजी श्री उमाशंकर सिंह प्रेरणास्रोत रहे है।माताजी श्रीमती अन्नपूर्णा सिंह के प्यार ने मुझे एक विवेकशील इंसान बनाया।मेरे दो भाई प्रमोद और मनीष जिनसे बचपन की जुड़ी यादें आज भी रोमांचित करती है।

छत्तीसगढ़ पर्यटन को बढ़ाने की प्रेरणा
आज भी मेरे आंखों के सामने वह तस्वीर बार बार आती है।जब पिताजी डाक टिकट और पर्यटन से जुड़ी पत्रिकाएं और फ़ोटो संग्रह करते थे।मेरे पिताजी पोस्ट ऑफिस में कार्य करते हुए उन्हें भी प्रकृति के प्रति बेहद लगाव था।वह अपनी इस प्रकृति प्रेम को डाक टिकट और पर्यटन से जुड़ी   फ़ोटो के माध्यम से प्रदर्शित करते थे।इन डाक टिकटों में देश के विभिन्न प्रांतों की बहुत ही मनोहर दृश्यों को बचपन से देखते हुए मैं बड़ा हुआ।और बचपन से ही उन डाक टिकिटों और तस्वीरों में देखी जगहों को घूमने की चाह हमेशा रही।किंतु पढ़ाई की गम्भीरता को देखते हुए यात्राओं से दूर रहना पड़ा, स्कूल की पढ़ाई पूरी होने के बाद यात्रा की रुचि को पुनः जागृत हुई और आज भी जारी है।

उद्देश्य
मैंने सोशल मीडिया के माध्यम से छत्तीसगढ़ पर्यटन को पूरी दुनियां के सामने रखने की कोशिश की है।यूट्यूब में हजारों लोग मुझसे जुड़े हुए है।यही प्यार मुझे और अच्छा करने की प्रेरणा देती है।जैसा हम मान सकते हैं कि पर्यटन और यात्रा एक ही सिक्के के दो पहलू है।किसी जगह की यात्रा करना व्यक्ति को उस जगह उस जगह के लोगों से जुड़ने में मदद करता है और अपने देश की इस अनेकता में एकता को देखने का अवसर प्रदान करता है जिससे हम अपनी मातृभूमि से और भी ज़्यादा स्नेह करने लगते हैं।

डॉक्टर होने से पहले मैं भी साधारण इंसान हूं।जीवन की आपाधापी में ऐसे कई चैलेंज आते है जब खुद का साक्षात्कार करना पड़ता है।मुझे लगता है प्रकृति से बड़ा हमसफ़र कोई नही है।बस उसे महसूस करने की जरूरत है।हर पल अपने होठों पर मुस्कान रखने वाला डॉक्टर के जीवन मे भी तनावपूर्ण स्थिति निर्मित होती है।यात्रा हमें हमारे डॉक्टरी जीवन में हर क्षण आने वाले तनाव को कुछ समय के लिए भुलाने में मदद करती है और साथ ही भविष्य में होने वाली तनावपूर्ण क्षणों के लिए तैयार भी रखती है।जिससे हम उस क्षण जब हम काम कर रहे हो अपना सौ प्रतिशत कार्य को समर्पित कर पाएं।

 

युवाओं से दो बातें
युवाओं के लिए मेरा यही संदेश है कि सिर्फ़ किताबी ज्ञान  आपको जीवन में कहीं नहीं ले जा सकती।अगर आपको जीवन का सच्चा ज्ञान प्राप्त करना है तो साल में 1 बार अवश्य किसी जगह की यात्रा आपको ज़रूर करनी चाहिए और शुरुआत आप अपने ही राज्य से करें।जब आप यात्रा में होते हैं तो आप जीवन के सारे  तनाव भूल जाते हैं।और जीवन में कम से कम एक हॉबी ज़रूर रखें जैसा कि मैंने फोटोग्राफ़ी को चुना है।यात्रा के दौरान फोटोग्राफ़ी मुझे असीम आनंद की ओर ले जाती है।स्वस्थ रहें और समाज में सकारात्मकता फैलाते रहे।

छत्तीसगढ़ की माटी की खुशबू से पूरे विश्व के लोग खींचे चले आते है।यहां की खान-पान ,वेशभूषा,संस्कृति अनोखी और वैज्ञानिक तथ्यों को साबित करने वाली है।सुबह चावल को भिगोकर खाया जाता है जिसे बासी कहा जाता है जिसका शोध अमेरिका जैसे देश मे हो चुका है।डॉक्टर गिरीश सिंह क्षत्रिय के द्वारा किया हुआ प्रयास से देश दुनियां को छत्तीसगढ़ को करीब से जानने और देखने का मौका मिलेगा।सत्यदर्शन की पूरी टीम नवयुवक डॉक्टर गिरीश सिंह क्षत्रिय के कार्यो का ह्रदय से तारीफ करता हैं।और उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हैं।

(यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आपके पास भी किसी पंचायत की कहानी हों तो हमें satyadarshanlive@gmail.com लिखें,
या Facebook पर satyadarshanlive.com पर संपर्क करें | आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर और  वीडियो 7587482923व्हाट्सएप में भेज सकते हैं)

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