वो जादुई दो शब्द……दोस्ती के रिश्ते को और मजबूत करती…युवा कलमकार विश्वनाथ देवांगन उर्फ मुस्कुराता बस्तर की कलम से….. *मेरी उम्र लग जाए तुम्हें….*

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            कहते हैं कि आंसू यूं ही किसी के लिए बहते नहीं हैं,जब बहते हैं ना तो बहुत कुछ कहते हैं | आँसू चाहे खुशी के हों चाहे दुख के पर एक बड़े अन्तर्द्वन्द और अन्तर्मन की महायुद्ध को बयां करते हैं |
किरण एक आधुनिक युवती जिसकोे सबकुछ अच्छा बुरा पता है | आज बिस्तर पर सिसक-सिसक कर रो रही है | बिना कुछ कहे मोबाइल के मैसेज पढ़कर रोये जा रही है |
              सच है कि,जो दूर रहकर भी पास हो,औरों से ज्यादा खास हो,स्वंय से ज्यादा जिस पर विश्वास हो,तन्हाई में भी जिसका एहसास हो,वही दोस्त है |
            आँसू रूक नहीं रहे हैं, किरण अपने दिलेर दोस्त जिसे बॉस भी कहती है जिसका नाम विकास है, मोबाइल पर मैसेज पढ़-पढ़ कर रो रही है | मोबाइल पर मैसेज आया है,लिखा है—
………………………के बाद ओए… वो! सुनो यार…
तुम औरों की तरह मत बनना,
तुम मेरे दोस्त हो, तुम माडर्न हो किरण,मॉडल की तरह रहना,दिखने में नहीं पर रोल मॉडल होना चाहिए,मैं जब तुम्हें कहीं मिलूं तो मुझे फक्र होना चाहिए | तुम स्कूल की किताब हो,मां की अरमान पिता का ख्वाब हो,तुम जैसे भी हो किरण मेरे सवाल का जवाब हो,तुम मेरे लिए बेमिसाल हो मेरी हर दुआ हर इबादत हर प्रार्थना कबूल हो तुम प्रगति उन्नति ऐश्वर्य की बुलंदी पर महकती चहकती फूल हो,तुम खुश रहो आबाद रहो,हर हमेशा फ्रर्स्ट रहो मेरी उम्र लग जाए तुम्हे तुम मेरे अजीज दोस्त हो…….हां,सुनो,मेरी तरफ से हमेशा की तरह कुछ तोहफे गाड़ी की डिगी में रखें हैं देख लेना @विकास |’
                किरण फूट-फूट कर रो रही थी | बहुत खुश थी आंसू खुशी के थे पर रूकने का नाम नहीं ले रहे थे |

                 विकास एक कर्म पर विश्वास करने वाला और सकारात्मक सोंच का युवा जो सालों पहले किसी स्टेज पर किरण से अवार्ड लेने के दौरान अचानक हाथ से किरण का पेन गिर गया था तभी उठा कर दिया था फिर हाय हेलो से बात दोस्ती तक पहुंच गई पर दोस्ती की दीवार इतनी मजबूत की कभी वो सीमा लांघ नहीं सका | किरण को भी अपनी दोस्ती पर गर्व और विकास को भी | दस सालों की दोस्ती में कभी ऐसा दिन नहीं आया जब एक दूसरे का हौसला एक दूसरे ने न बढ़ाया हो | सकारात्मक सोंच दोनो की दोस्ती की आधारशिला थी |
               किरण पिछले साल भर से विकास की व्यस्तताओं और विषम परिस्थितियों के साथ कुछ समझ नहीं पा रही थी कि विकास को आखिर हो क्या रहा है | कभी कहीं कार्यक्रम में तो कहीं सेमीनार में पर किरण से कोई संतोषजनक बात नहीं हो पा रहा था आखिर दोस्त हैं तो कुछ तो हक बनता है | विकास भी परीक्षा की घड़ी से गुजर रहा था परिवार की समस्याएं,नौकरी के तामझाम और समाज के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना | चार लोगों के बीच की जिन्दगी में फोटो वीडियो वायरल होते देर नहीं लगती कहीं मेमसाब के साथ तो कहीं कुछ और लड़कियों महिलाओं के साथ के तस्वीरें किरण को आहत करती थी कि विकास मेरा दोस्त किस राह पर चल रहा है | यह विचार आना स्वाभाविक भी है | कई बार तो किरण का मन किया कि बोल दूं पर हिम्मत नहीं हुई क्योंकि आज भी दोस्ती पर उतना ही भरोसा है जितना कल था |
        कहते हैं दुनिया बस फिल्म देखती है चैनल बदल बदल कर दुनिया टीवी की तरह,पर हमें चैनल न होकर रिमोट कन्ट्रोलर होना चाहिए और रिमोट हमारे हाथ में होना चाहिए | ताकि हम दुनिया की तरह न नाचें बल्कि मन की करें |
          कई तरह की बातें दुनिया में बदनाम कर देती हैं,क्योंकि लोगों को कहने में मजा आता है | किरण ने ठान लिया चाहे कुछ भी हो तह तक जाकर रहूंगी |
       किरण के शहर में ही कल किसी कार्यक्रम में विकास आने वाला है और किरण भी वहां जा रही है | विकास ने भी मैसेज करके बताया है कल मैं आ रहा हूँ मिलकर बहुत सारी बातें करेंगे | पर किरण के दिल की उथल पुथल है,एक लगाव एक निस्वार्थ दिल्लगी,जो साथी के हित रक्षा के लिए ठाना गया हो मन में सवाल कई हैं, परीक्षा की घड़ी है | कल रात को जब एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने विकास आया किरण के शहर में तो किरण से मुलाकात हो गई | आते ही कुछ बातें करने बाद किरण की गाड़ी लेकर अपने आफिस के बॉस मैम के साथ अपने दोस्त किरण को सर्पराइज देने के लिए चॉकलेट,कुछ कपड़े,और रूमाल, और कुछ गिफ्ट आइटम्स खरीदकर गाड़ी की डिगी में रख दिया फिर वापस आ गये | किरण से मैम की परिचय और विकास किरण की बात भी हुई सब कुछ ठीक रहा,पर बहुत सॉरी बातें नहीं हुई | कार्यक्रम में एक खास विशिष्ट अतिथि से ज्यादा नजदीकी रास नहीं आई सब कुछ ठीक ही था पर कहते हैं ना कि जब आंखें लाल हो बाल खड़े हो तो हमले की तैयारी है…! फिर जाने दौरान विकास ने अफसोस जताया कि हम ज्यादा कुछ नहीं कर पाये | किरण घर आई और मोबाइल निकाली और वाट्सअप पर मैसेज पर मैसेज करने लगी कि – तुम वैसे नहीं रहे, जैसे पहले थे, बहुत बदल गए, और वो गेस्ट कौन थी उससे चिपकने की जरूरत क्या थी,मेरा चॉकलेट कहां गया,मैं बॉस बहुत आहत हूं तुम ऐसे कैसे हो गए,लोग सहीं कहते हैं तुम गलत संगत में पढ़ गए,गुड नाईट बाय,…! इस तरह किरण ने अपनी भड़ास निकाल लिया |और सो गई |
         सुबह जब उठी ख्याल आया कि किरण अपने गाड़ी से चाबी निकालना भूल गई,तुरंत जाकर देखी चाबी बरामदे में गाड़ी पर ही लटक रही है | तभी डिगी खोलती है तो पूरा डिगी भरा हुआ है | किरण चॉकलेट देखकर समझ गई,तुरंत भाग कर बिस्तर पर मोबाइल देखती है तो मोबाइल पर लिखा मैसेज पढ़-पढ़ कर रो रही है |
           मैसेज के बाद लिखा दो लाइन और लिखा था – तुम विश्वास और आस्था हो तो दोस्त हो, किरण हो,आज दिन मंगलमय हो शुभ हो मित्र |
          किरण को सबकुछ समझ आ गया समय के साथ वेश भूषा बदल सकता है पर दिल नहीं बदलना चाहिये |
    रोमांचित पल में, खुशी के आंसू दुगुने हौसला से होले-हौले बहने लगे |
*✍©®*
*विश्वनाथ देवांगन’मुस्कुराता बस्तर’*
कोंडागांव,बस्तर,छत्तीसगढ़
मोबाइल : 07999566755

 

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