आदिवासी गौरव…..बिरसा मुंडा… जननायक जो आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी….. जन्मदिन विशेष

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बिरसा मुंडा, यह नाम सुनते ही अक्सर हमारे दिमाग में एक ‘आदिवासी नायक’ का चित्र उभरता है, जिसने आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी। बिरसा मुंडा न सिर्फ आदिवासियों के बल्कि इस देश की जनता के नायक हैं। बिरसा मुंडा का जन्म 1875 ई. में झारखण्ड राज्य के रांची में हुआ था।

बिरसा मुंडा ने किसानों का शोषण करने वाले ज़मींदारों के विरुद्ध संघर्ष की प्रेरणा भी लोगों को दी। यह देखकर ब्रिटिश सरकार ने उन्हें लोगों की भीड़ जमा करने से रोका। बिरसा का कहना था कि मैं तो अपनी जाति को अपना धर्म सिखा रहा हूँ। इस पर पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार करने का प्रयत्न किया, लेकिन गांव वालों ने उन्हें छुड़ा लिया। शीघ्र ही वे फिर गिरफ़्तार करके दो वर्ष के लिए हज़ारीबाग़ जेल में डाल दिये गये। बाद में उन्हें इस चेतावनी के साथ छोड़ा गया कि वे कोई प्रचार नहीं करेंगे।

उनके समुदाय के ही दो व्यक्तियों ने धन के लालच में बिरसा मुंडा को गिरफ़्तार करा दिया। 9 जून, 1900 ई. को जेल में उनकी मृत्यु हो गई। शायद उन्हें विष दे दिया गया था। लेकिन लोक गीतों और जातीय साहित्य में बिरसा मुंडा आज भी जीवित हैं।

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