सात साल की जन्नत की पीएम भी कर चुके हैं तारीफ,इसके बाद जन्नत के बारे में देश-दुनिया में लोगों को पता चला कि किस तरह एक छोटी बच्ची झील को प्रदूषण से बचाने का काम कर रही है.अब किताबों में पढ़ाई जाएगी उसकी कहानी

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सात साल की जन्नत पिछले दो सालों से अपने पिता तारिक अहमद के साथ डल झील में फैले प्लास्टिक के कूड़े को साफ़ करने में जुटी हैं. हर रोज़ यह छोटी बच्ची अपने पिता के शिकारे में बैठ कर डल झील के किसी हिस्से में निकल जाती और यहां पर पर्यटकों और स्थानीय लोगों के फैलाए प्लास्टिक के प्रदूषण को साफ़ करती है.

जन्नत अपने परिवार के साथ डल झील में उनके एक एक हाउसबोट में रहती है और उसका इस झील के साथ जन्म के साथ से ही नाता रहा है. जन्नत के पिता तारिक अहमद के अनुसार वह तीन साल की उम्र से ही झील में कूड़ा डालने पर लोगों से भिड़ जाती थी और एक बार तो एक पर्यटक को सड़क से वापस आकर झील से प्लास्टिक की बोतल निकालने पर मजबूर किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जन्नत के काम की सराहना अपने मन की बात कार्यक्रम में की थी और छोटी सी बच्ची के साहस को सराहा था. इसके बाद जन्नत के बारे में देश-दुनिया में लोगों को पता चला कि किस तरह एक छोटी बच्ची झील को प्रदूषण से बचाने का काम कर रही है.

अब जन्नत की कहानी हैदराबाद के एक स्कूल की किताबों का हिस्सा बन गई. उसकी कहानी को एक पुस्तक में प्रकाशित किया गया है जिसे हैदराबाद स्थित एक स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है.

डल झील में रहने वाली दूसरी कक्षा में पड़ने वाली सात साल की बची जन्नत कहने को तो छोटी बच्ची है जिसकी उम्र में बच्चे खेलों में मस्त रहते है मगर इसने कश्मीर की पहचान डल झील को साफ़ करने का बीड़ा उठाया है.

जन्नत अपने नाम की तरह ही कश्मीर को जन्नत बनाये रखना चाहती हैं. अब दो साल के बाद इसके काम को मान्यता मिलने से यह बच्ची स्वच्छता की एंबेस्डर बने के साथ-साथ दूसरों के लिए एक प्रेरणा भी बन गई है. जन्नत बहुत खुश है कि उसके काम को सराहा गया है.

जन्नत कहती हैं, “मुझे बहुत अच्छा लगा…मैं बहुत खुश हुई कि बुक में मेरा नाम आया. मैंने यह बाबा से सीखा हैं…जब में छोटी थी उन्होंने मुझे सिखाया. हमलोगों को डल को साफ़ रखना चाहिए. मैं वैज्ञानिक बना चाहती हूं. इस दुनिया के लिए सब कुछ करना चाहती हूं. डल को साफ़ रखना चाहती हूं और धीरे धीरे फिर यहां पर बहुत सारे लोग आ जाएं.’’

जन्नत  के पिता तारिक अहमद को अपने लिए गर्व की बात मानते हैं. वह कहते कि उनकी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा जब उन्होंने यह खबर सुनी. तारिक सालों से झील की सफाई में लगे हुए हैं और उनकी बेटी भी उसने प्रेरित होकर यह काम करने लगी. उनके मुताबिक जन्नत को मिला यह सम्मान उसे और हौसला देगा. वह चाहते हैं कि उनकी बेटी पर्यावरणविद बन कर इस झील को साफ़ रखने के लिए कुछ ज्यादा करे.

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