नाना-नानी की दहलीज से कॉलेज की टॉपर तक का सफर,,,, एक ऐसी युवा शख्सियत सुश्री मनीषा शर्मा की कहानी जो बस्तर में बच्चों के उत्थान के कार्य के साथ ही रक्तदान के लिये प्रेरित करती व समर्पित हैं | छत्तीसगढ़ बस्तर के चर्चित अंतर्राष्ट्रीय खोजी लेखक युवा हस्ताक्षर विश्वनाथ देवांगन उर्फ मुस्कुराता बस्तर की सुश्री मनीषा शर्मा से खोजी बातचीत में,सूदूर बस्तर के वनांचल में नई इबारत लिखती जज्बों की कहानी….अपनी जुबानी,,,,, मुझे एक लगाव सा हो गया

छत्तीसगढ़ बस्तर का सुकमा जिला जो सूदूर अंतिम छोर पर स्थित है,जहां बस्तर के कई युवा होनहार अपनी बेहतरीन जीवन शैली से लोगों को अनायास ही खींच लाते हैं,चाहे किसी भी क्षेत्र में क्यों ना हो बस्तर आज बेस्ट स्तर है |

आज हम सुकमा जिले के रक्तदाता और समाज सेवा में रत युवा सुश्री मनीषा शर्मा से आप भी उनसे मुखातिब होयें,हमारा बस्तर यूं ही बेस्ट स्तर नहीं है,यहां पर भी कई नूर और कोहिनूंर भरे पड़े हैं,आइये मिलते हैं,,,,,:-

नाम- सुश्री मनीषा शर्मा
पिता का नाम- श्री सत्यनारायण शर्मा
जन्मस्थान- गीदम जिला दंतेवाड़ा
स्थायी पता- पुराना बस स्टैंड के पास गीदम
वर्तमान पता- Q. Number-zns 5,कुम्हाररास सुकमा
कार्यालय का पता- जिला बाल संरक्षण इकाई,महिला एवं बाल विकास विभाग सुकमा।।
पद नाम- संरक्षण अधिकारी (गैर संस्थागत देखरेख)

व्यक्तिगत अनुभव:-
सर्व साधारण परिवार में मेरा जन्म हुआ।। जन्म के बाद मेरी शिक्षा दीक्षा भी बस्तर में ही हुई। बचपन से ही सुख दुख का अनुभव किया। परोपकार, सहानुभूति, प्रेम,स्नेह जैसे संस्कार बचपन से ही मिले है,जो कि मेरे परिवार और शिक्षकों की देन है।महिलाओं के बिना स्वस्थ समाज की कल्पना भी नही की जा सकती | महिलायें कुशल प्रबंधक होती हैं,महिलाओं का समाज को योगदान स्तुत्य है | मैं बचपन से ही नानी के घर रही हूं। मेरी नानी ने मेरा पालनपोषण किया है,आज जो भी हूँ,उन्ही की वजह से हूँ,पढ़ने में बहूत होशियार थी मैं,टॉप किया करती थी,दंतेवाड़ा collage से Collage topper रही हूं | हिम्मत और साहस बहूत है मुझमे…ऐसा लोग कहते है |

जब से होश संभाला है,निरंतर संघर्ष ही किया है | दुसरो के लिए कुछ कर के मुझे अच्छा लगता है, सुकून मिलता है,आराम मिलता है। मैंने अपने जॉब की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में सरस्वती शिशु मंदिर हीरानार से की, वनांचल शिक्षा प्रकल्प के इस आवासीय विद्यालय में आदिवासी अंचल के बच्चे पढ़ा करते है। ये वह शुरुवाती दौर था जब मैनें अंचल के अभाव और जरूरतों को नजदीक से जाना। मुझे एक लगाव सा हो गया। वर्ष 2009 में मैने एक ngo जॉइन किया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने का कार्य मैंने बतौर एक प्रशिक्षक किया। इस दौरान मैं अंचल की महिलाओं से रु-ब-रु हुई। जाना कि वास्तव में बस्तर में एनीमिया एक बड़ी समस्या है। जिस पर काफी प्रयास किये जा रहे है,काफी किये जाने है |

वर्ष 2012 में मैं सुकमा आई और जिला अस्पताल में मैंने काउन्सलर के पद पर कार्य किया। HIV AIDs पर लगभग मैंने 5 साल काम किया। इस दौरान मैंने अनुभव किया कि वास्तव में समस्या हमारे आसपास ही है,और हम सब को मिल कर काम करने की आवश्यकता है।वर्ष 2016 में मैंने जिला बाल संरक्षण इकाई,महिला एवं बाल विकास विभाग में संरक्षक अधिकारी का पद ग्रहण किया | विदित है कि यह विभाग महिलाओं और बच्चों के लिये समर्पित है। बच्चों के लिए काम कर के मुझे सुखद अनुभूति होती है।

रक्तदान संबंधी अनुभव:—
वर्ष 2018 में मैंने अपना पहला रक्तदान किया था। मेरे मित्र ने मुझे रक्तदाता समूह से मुझे जोड़ा था। ग्रुप में रक्त की आवश्यकता का msg पढ़ कर मैं रक्तदान को उत्सुक हो गई। कुछ लोगो ने कहा कि महिलाओं को रक्तदान नही करना चाहिये, पर मैंने किसी की नही मानी। और जिला अस्पताल दंतेवाड़ा में मैंने अपना पहला रक्तदान किया।

परहित का भाव औऱ सहयोग की अवधारणा, से हृदय प्रसन्न हुआ।फिर मैंने इस कार्य को एक मकसद बना लिया।और लोगो को जोड़ने लगी,काफी लोगो को जोड़ा है,और काफी रक्तदान करवाये है। विक्रांत नायक जी ने हमेशा से प्रोत्साहित किया है,जिनसे मुझे उर्जा मिलती है।वर्ष 2019 में मैंने दूसरा रक्तदान अपने जन्मदिन के अवसर पर किया। लगातार रक्तदान करने और करवाने हेतु मैं सदैव अग्रसर रहूंगी।

युवा पीढ़ी को संदेश
आज के युवाओं में समझदारी और समर्पण का अभाव है  ..युवाओँ में रोष और आवेग ज्यादा है। इसका एक और प्रमुख कारण है,पाश्चात्य सभ्यता का हावी होना। अपने आप में अहम की भावना,जो कि युवा की ऊर्जा को खोखला बना रहा है, युवा में संगति का बहुत ज्यादा असर है,युवाओं का संगत के जैसा ही रुख है,काफी लोग नेक काम में भी लगे है,और काफी गर्त की ओर भी जा रहे है,यह चिंतनीय है | रिश्ते टूटने के कई कारण हो सकते है…किन्तु निभाने के लिए समझदारी और समर्पण जरूरी है।

प्रत्येक युवा समाज व देश का आधार स्तम्भ है। उन्हें विवेकवान और वीरवान होना चाहिए।अगर युवा विवेकवान होगा तो निर्णायक होगा। एक अच्छा निर्णायक ही अच्छा नागरिक और देश निर्माता बन सकता है, उन्हें एक बनो नेक बनो के सिद्धांत पर चलते हुए, कुसंग से दूर हो कर एक आदर्श जीवन जीना चाहिए।

ये थी हमारी खास शख्सियत सुश्री मनीषा शर्मा फिर जल्द हाजिर रहूंगा किसी और खास शख्सियत से आपको रू-ब-रू कराने के लिये,,,,तब तक के लिये…|
जय हिंद,
✍️ मुस्कुराता बस्तर


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