नई दिल्ली:केंद्र सरकार ने बुधवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा कि वे कोविड-19 टेस्टिंग व क्वारंटाइन केंद्रों और अस्पतालों में इलाज के दौरान दिव्यांगों के लिए बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करें।दिव्यागों के सशक्तिकरण विभाग में सचिव शकुंतला डी. गैमलिन ने इस संबंध में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा है। पत्र में गैमलिन ने लिखा है कि महामारी का प्रभाव कम करने के लिए कई कोविड-19 केंद्रों की पहचान कंटेनमेंट यूनिट्स, आइसोलेशन ट्रीटमेंट केंद्रों और टेस्टिंग लैबों के रूप में की गई है।
गैमलिन ने लिखा है कि वर्तमान संकट ने दिव्यांगजनों के लिए ज्यादा बड़ा खतरा पैदा कर दिया है क्योंकि उन्हें अपनी शारीरिक स्थिति की वजह से सभी सूचनाएं नहीं मिल पा रही हैं और कोविड-19 से संबंधित केंद्रों पर भी सभी चीजें उनकी पहुंच में नहीं हैं। पत्र के मुताबिक, सभी संचालन एवं नियंत्रण प्रणालियां और स्वसंचालित उपकरण (सैनेटाइजर डिस्पेंसर, ग्लोव केस, साबुन, वॉश बेसिन इत्यादि) ऐसी जगह होने चाहिए जहां दिव्यांगजन आसानी से पहुंच सकें। मानक के मुताबिक रंगों और चमक के साथ चित्रमय और सरल प्रमुख संकेतक लगाए जाने चाहिए। महत्वपूर्ण समाचारों की सार्वजनिक घोषणा ऑडियो और कैप्शन समेत वीडियो के साथ की जानी चाहिए।
दिव्यांगों को बुनियादी सुविधाएं पाने में हो रही परेशानी
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के मद्देनजर देश में लॉकडाउन घोषित किया गया है। इस दौरान सबसे ज्यादा परेशानी दिव्यांगों को उठानी पड़ रही है। उनको खाने-पीने के सामान और चिकित्सा सुविधाओँ जैसी रोजमर्रा की अपनी जरूरतों के लिए भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
दिव्यांग लोगों के हालात के बारे में बताते हुए नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एंप्लॉयमेंट फॉर डिसेबल्ड पीपुल (NCPEDP) के कार्यकारी निदेशक, अरमान अली ने कहा कि रोजाना की जरूरतों को पूरा करना एक चुनौती बन गई है। यहां तक कि लोग भोजन और दवा लेने में भी सक्षम नहीं हैं। ज्यादातर दिव्यांग लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। शहरी इलाकों में रहने वाले दिव्यांग किसी तरह से अपनी जरूरतों को पूरा कर पा रहे हैं।