प्रेरणा…एक कदम आर्थिक बदलाव का…सुदूर गांवो में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का अनोखा प्रयास….

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श्रीकांत सिंह,कोरबा:- “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता”अर्थात जहाँ नारियो का सम्मान होता है वहा देवता निवास करते है।महिलाओ का असली सम्मान तभी होगा जब वह पूर्णतः आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ेगी।सुदूर गांवो की महिलाओं को स्वावलम्बी बनाने का एक प्रयास हमारे द्वारा किया जा रहा है।

हम उसी क्षमता की बात कर रहे है जहाँ महिलाएँ परिवार और समाज के सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने निर्णयों की निर्माता खुद हो। यह तभी सम्भव है जब महिलायें आर्थिक रूप से सक्षम हो। जब वे आर्थिक रूप से सक्षम होंगी तो वे समाज को दिशा भी दे पाएँगी। जहाँ हम काम करने जा रहे यह क्षेत्र मेरे पिताजी की कर्मभूमि रहा है। उन्होंने अपने जीवनकाल का एक लम्बा समय यहां बिताया है। मैंने अपने जीवन के 34 बरस में से 24 बरस जंगलों में ही बिताएं है ईसलिये वहां महिलाओं के लिए उपलब्ध रोजगार अवसरों से अच्छी तरह परिचित हूँ। वनांचल में पुरुषों के लिए कुछ रोजगार तो उपलब्ध हो जाते हैं। वे छुरी, कटघोरा, बालको, दर्री और जमनीपाली आकर काम कर सकते हैं लेकिन महिलाओं को इस तरह 15-25 किलोमीटर दूर आकर काम करना संभव नहीं है।

लोग अपनी दैनिक जरूरतों के लिए वनोपज पर निर्भर रहते हैं लेकिन यह वनोपज भी मौसम अनुसार ही होता। बारिश और सर्दी के 8 महीनों में कोई वनोपज प्राप्त नहीं होती। मार्च से आगे बढ़े तो चार, तेंदुफल फिर महुआ-डोरी, कुछ फूलों का संग्रहण और तेंदुपत्ता संग्रहण का कार्य हो पाता है। यह सब केवल मार्च से मई तक 3 महीने ही होता। कुछ लोग पत्तल दोना बनाने का कार्य भी करते हैं लेकिन इससे भी अच्छी रकम नही मिल पाती। इनकी कुछ कमाई का हिस्सा बिचौलियों को चला जाता है। यहां की मुख्य फसल धान है। ढलान भूमि के कारण बारिश का पानी भी जल्दी उतर जाता है दूसरी ओर सिचाई के साधन न होने के कारण भी धान की पैदावार कम होती है। इस तरह वे कभी भी आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हो पाते हैं।

इस बात को ध्यान में रखकर हमनें जनसहयोग से ग्राम धनगांव में सिलाई सेंटर शुरू करने की पहल की है। लगभग 30 महिलाओं के साथ हम यह शुरू करने की कोशिशों में लगे हैं। हमने कुछ दिन पहले ही महिलाओं की बैठक की है और उनकी ओर से भी सकारात्मक बातें आई है। सिलाई सीखने काफी उत्सुक है। प्रारंभ में हमनें इसे दो मशीनों के साथ फिर जरूरत के हिसाब से आगे और कोशिश करेंगे कि मशीनों की संख्या बढ़े।

पंचायत निर्वाचन के बाद इसे शुरू करेंगे। इस कार्य में वीरवानी सर, पंकज, बिरेन्द्र सर, सविता, अजय, शोभा, वर्धन कुमार भारिया और प्रकाश का अच्छा सहयोग मिला है। शोभा और प्रकाश ने इस बैठक और महिलाओं को संगठित करने में अहम भूमिका अदा की है। आप सभी का आभार। आप भी दुआ कीजिए कि हम अपने प्रयासों में सफल हो।

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