कमलेश यादव,केरल:-प्रकृति के गोद मे बसा खूबसूरत राज्य केरल और उतनी ही खूबसूरत है यहा के रहने वाले लोगो की कहानियां।निःस्वार्थ सेवा ही हमारे अंदर संतोष लाती है,जब हम दया दिखाते है तब हमारा प्रेम और शांति का वास्तविक स्वभाव बाहर निकल कर आता है।आज हम ऐसे शख्सियत से आपको रूबरू कराएंगे जिन्होंने एक अनाथ बच्चे को अपनी एक किडनी दान देकर मानवता का मिसाल पेश की है।छोटे से गांव कोट्टयम नीरीकाड की रहने वाली सीता दिलीप थम्पी पूरे भारतवर्ष के लिए प्रेरणा बन गई है।
19 वर्षीय जयकृष्णन जब वह 3 साल का था उसके माता-पिता छोड़ कर चले गए थे।बूढ़ी नानी ने पाल-पोसकर बड़ा किया पर वक्त को कुछ और ही मंजूर था इतनी छोटी सी उम्र में किडनी जैसी गम्भीर बीमारी का सामना करना पड़ा।इलाज का खर्च वहन करना बेहद ही मुश्किल था।तभी दया चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन Mr.EB Ramesh ने इलाज का बीड़ा उठाया और जयकृष्णन के गांव जाकर लोगो से किडनी दान के लिए अपील किया लेकिन गांव में एक भी शख्स किडनी देने के लिए तैयार नही हुआ।तभी संस्था की सदस्या सीता दिलीप थम्पी ने अपनी एक किडनी देने का संकल्प लेकर जयकृष्णन के जिंदगी को बचाया।
दया चैरिटेबल ट्रस्ट चेयरमैन Mr.EB Ramesh
संस्था के चेयरमैन Mr.EB Ramesh के दूरदृष्टि सोच और पक्के इरादे के बदौलत ही यह कोसीस परिणाम तक पहुच पाया है।उन्होंने चुनाव मॉडल के तर्ज पर 78 बूथों में 6 घंटे के भीतर 15 लाख रुपये बाल्टी अभियान के माध्यम से एकत्रित किए है।यह कुशल नेतृत्व के बगैर सम्भव नही था।अभी वर्तमान में प्रतिमाह 15000रुपये दवाई और इलाज के खर्चे भी संस्था वहन कर रही है।ठीक होने के बाद घर और पढ़ाई का सम्पूर्ण खर्च भी सहयोग से किया जाएगा।
प्रार्थना करने वाले होंठों से ज्यादा बेहतर होता है किसी जरूरतमंद के लिए मदद का उठाया हुआ हाथ।दया चैरिटेबल ट्रस्ट के सभी सदस्य नेक कामो में लगे हुए है।निर्धन कन्या विवाह हो या किसी प्रकार की चिकित्सीय सहायता सभी सदस्य हमेशा तत्पर रहते है।हाल ही में HIV पीड़ित लोगो के लिए पौष्टिक आहार की व्यवस्था भी की गई है।यदि आप भी कुछ सहयोग करना चाहते है तो नीचे दिए हुए अकॉउंट नम्बर में सहायता राशि भेज सकते है।
जाते-जाते क्यों ना हम खुद को अमर कर जायें, जीवनदान पाने वाले की दुआएं अपने नाम कर जायें। आज इस मिलावट और प्रदूषण के ज़माने में हर दूसरा व्यक्ति किसी ना किसी बीमारी की चपेट में है।अंगदान के इंतजार में कई बेटे, कई पिता, मांएं, बहनें, और कई दोस्त जिंदगी की जंग हार जाते हैं।अंगदान से कई जिंदगी को बचाया जा सकता है।सच में इससे बड़ा परोपकार और क्या होगा।
47 वर्षीय सीता दिलीप थम्पी ने इंसानियत का मिसाल पूरी दुनिया के सामने रखा है।उन्होंने यह साबित कर दिया है कि खून के रिश्तों के दायरों से भी बड़ा इंसानियत का रिश्ता होता है।जिंदगी में बहुत कुछ ऐसा है जिसका कोई विकल्प ही नही है।मानव अंग कृत्रिम रूप से नही बनाया जा सकता है सीता दिलीप थम्पी के परिवार के सदस्य भी सम्मान के पात्र है जिन्होंने इस निर्णय में कदम मिलाकर साथ मे खड़े रहे।दया चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष Mr.EB Ramesh और सभी सदस्य साथ मिलकर इस मुहिम को अंजाम तक पहुचाये है यह मानव सभ्यता के लिए अनूठा उदाहरण है।सत्यदर्शन लाइव की पूरी टीम के तरफ से सीता दिलीप थम्पी को बारम्बार नमन…सीता दिलीप थम्पी के निर्णय में पति दिलीप थम्पी बेटियां कशमीरा और कावेरी,बहन सुधा जो मुंबई में रहती है सभी ने साथ मिलकर भरपूर सहयोग किया है।
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