संघर्ष से सशक्तिकरण तक: ड्रोन दीदी श्रीमती शांति विश्वकर्मा की प्रेरक यात्रा

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कमलेश यादव : एक सशक्त महिला का पर्याय हैं श्रीमती शांति विश्वकर्मा जी जिन्हें “ड्रोन दीदी” के नाम से भी जाना जाता है । अगर उनके बचपन से लेकर अब तक के जीवन और कार्यों को एक शब्द में वर्णित किया जाए तो वह शब्द होगा “संघर्ष और सेवा”। माँ बम्लेश्वरी की गोद में बसे डोंगरगढ़ में रहने वाली श्रीमती शांति विश्वकर्मा का जीवन संघर्ष से भरा रहा है। इसके बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और आज अपने काम की बदौलत पूरे जिले में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी हैं। वे क्षेत्र के सैकड़ों किसानों के खेतों में जाकर ड्रोन के जरिए खाद और कीटनाशक का छिड़काव कर रही हैं।

श्रीमती शांति देवी विश्वकर्मा ने सत्यदर्शन लाइव को बताया कि जीवन और संघर्ष समानांतर चीजें हैं। एक के बिना दूसरे की कल्पना नहीं की जा सकती। मैंने बचपन में ही शिक्षिका बनने का सपना देखा था। 9वीं कक्षा पास करने के बाद मेरी शादी हो गई। चूंकि मुझे पढ़ाई का शौक था, इसलिए मैं हमेशा सपने बुनते रहती । इसके लिए मेरे पति श्री कुलदीप विश्वकर्मा ने मेरा भरपूर साथ दिया। और मैंने आगे की पढ़ाई बीएससी (बायोलॉजी) तक पूरी की। हर साल मैं कोई न कोई हुनर ​​सीखती रहती हूं।

मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली शांति देवी अपनी कहानी सुनाते हुए उनकी आंखें भर आईं और अतीत की सारी यादें फिर से ताजा हो गईं। एक समय था जब उन्हें लकड़ियां बीनने के लिए जंगल जाना पड़ता था। दो वक्त की रोटी के लिए भी संघर्ष करना पड़ता था। बच्चों की पढ़ाई के लिए फीस भरने का कोई इंतजाम नहीं था। मुझे पता था कि हालात हमेशा एक जैसे नहीं रहते, हमें अपना काम ईमानदारी से भगवान को समर्पित करते हुए करते रहना चाहिए।

माँ वैभवलक्ष्मी स्वयं सहायता समूह की स्थापना
बड़ी से बड़ी मुश्किलों से भी मिलकर लड़ा जा सकता है। मैं जानती थी कि पहला कदम उठाने पर रास्ता अपने आप बन जाता है। हम 15 बहनों ने मिलकर “माँ वैभवलक्ष्मी स्वयं सहायता समूह” की स्थापना की और घर में बनने वाले पापड़ और बड़ी मुरकु बनाने का काम शुरू किया। श्री “शांति अचार” की भी बाजार में अच्छी मांग है। कुछ समय तक हमने रेडी टू ईट का काम भी जारी रखा।

ड्रोन दीदी के रूप में चयन
मुझे आज भी याद है कि जुलाई 2023 में मुझे दिल्ली से कॉल आया था। सभी प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद आखिरकार मुझे ग्वालियर में प्रशिक्षण के लिए चुना गया। इफको ( IFFCO ) द्वारा 15 दिनों का प्रशिक्षण दिया गया। आखिरकार मैं ड्रोन पायलट बन गई और अपने क्षेत्र के हजारों किसानों को लाभान्वित कर रही हूं। मुझे लखपति दीदी की उपाधि मिली है। मैं ड्रोन के माध्यम से क्षेत्र के हजारों किसानों को अपनी सेवाएं दे रही हूं।

प्रेरणा
वह कहती हैं कि संसाधनों की कमी सबसे बड़ी प्रेरणा है। और अंतरात्मा की आवाज सही रास्ता दिखाती है। आज मैं दिहाड़ी मजदूर से ड्रोन दीदी तक पहुंच गई हूं। मुझे जो भी काम मिला, मैंने उसे पूरी ईमानदारी और लगन से किया। यही ईमानदारी मेरे लिए प्रेरणा बनी और आगे का रास्ता प्रशस्त किया। मैंने खुद को कम्फर्ट जोन से बाहर निकाला। आज मैं हर दिन भगवान का शुक्रिया अदा करती हूं कि उन्होंने मुझे संघर्षों के लिए चुना।

उद्देश्य
किसान हमारे अन्नदाता हैं। मुझे कृषि कार्यो में उनकी मदद करने पर गर्व है। मैं चाहती हूं कि मैं खाद और दवाई के छिड़काव में ज्यादा से ज्यादा किसानों की मदद करूं। और मैं देश के प्रधानमंत्री मोदी जी का भी दिल से शुक्रिया अदा करती हूं कि उन्होंने मुझे ड्रोन दीदी के लिए चुना। वास्तव में यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक सार्थक पहल है।

शांति विश्वकर्मा की कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची लगन और दृढ़ निश्चय से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है। शांति की मेहनत और लगन ने न केवल उनका जीवन बदल दिया बल्कि उन्हें पूरे क्षेत्र में एक प्रेरणादायी उदाहरण बना दिया। उनकी सफलता ने साबित कर दिया कि कठिनाइयों और अभावों के बावजूद, अगर सच्ची मेहनत और लगन हो तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।

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